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Demonetisation: नोटबंदी के छह साल, बदला लेनदेन का तौर-तरीका, डिजिटल इकोनॉमी में कैश की धमक बरकरार

Six years of Demonetisation आज से छह साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का एलान किया था। देश में नोटबंदी के बाद बड़ा बदलाव आया है। देश में लोग अब नकद की अपेक्षा डिजिटल लेनदेन को अधिक वरीयता दे रहे हैं।

By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 11:20 AM (IST)
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Demonetisation Completed Six year know the changes after this big Decision by PM narendra Modi (Jagran File Photo)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आज नोटबंदी को छह साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का एलान किया था। इसके बाद पूरे देश में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद हो गए थे, जो कि समय पूरे करेंसी सर्कुलेशन का कुल 86 प्रतिशत था।

इसका उद्देश्य देश में कालेधन पर लगाम लगाना, जाली नोटों को खत्म करना और डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना था। नोटबंदी के बाद देश की डिजिटल इकोनॉमी में बड़ा उछाल आया है। कालेधन और जाली नोटों की संख्या पर कुछ हद तक अंकुश लगा है, हालांकि कालेधन और जाली नोटों की समस्या अभी भी बनी हुई है।

नोटबंदी के बाद 2000, 500 और 200 के नए नोट हुए जारी 

देश में नोटबंदी करने के साथ ही नई करेंसी को लॉन्च करने का फैसला भी लिया था। इसके साथ 1000 रुपये के नोट पूरी तरह से चलन से बाहर कर दिए गए थे और 2,000 एवं 200 के नए नोट को बाजार में उतार दिया गया था। वहीं, 500 के नोट को रीलॉन्च किया गया था।

डिजिटल लेनदेन को मिला बढ़ावा

नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन को बड़ा उछाल देखा गया है। वित्त वर्ष 2015-16 देश में होने वाले कुल लेनदेन में डिजिटल लेनदेन की हिस्सेदारी 11.26 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 80.40 प्रतिशत ही गई है और वित्त वर्ष 2026-27 में इसके 88 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।

UPI को मिला बड़ा बूस्ट

एनपीसीआई की वेबसाइट के अनुसार, तत्कालीन आरबीआई के गवर्नर डॉ रघुराम जी राजन ने 21 बैंकों के साथ मिलकर 11 अप्रैल, 2016 को यूपीआई का पायलट लॉन्च किया गया था, जिसके बाद बैंकों ने 25 अगस्त, 2016 से गूगल प्ले स्टोर पर यूपीआई ऐप अपलोड करने शुरू कर दिए थे, लेकिन इसे बड़ा बूस्ट नोटबंदी के बाद मिला। इस साल अक्टूबर में यूपीआई से होने वाला वित्तीय लेनदेन रिकॉर्ड ऊंचाई 12.11 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

कैश का अब भी दबदबा

नोटबंदी के बाद देश में तेजी से डिजिटल लेनदेन की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन कैश अभी भी बाजार का किंग बना हुआ है। इसका आकलन आप इसी बात से लगा सकते हैं कि नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 देश में कुछ 17.7 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी, जो 21 अक्टूबर 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

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