डॉलर के मुकाबले रुपया 65 के पार, समझिए हमारी जिंदगी पर कैसे पड़ेगा फर्क
डॉलर के मुकाबले रुपए का कमजोर होना सीधे तौर पर आम आदमी पर असर डालता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बीते कुछ दिनों से डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहे रुपए की हालत इस हफ्ते के पहले ही दिन पतली हो गई। बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में रुपया डॉलर के मुकाबले 64.94 पर बंद हुआ था, लेकिन 20 तारीख आते-आते रुपए ने 65.21 का स्तर छू लिया। आपको बता दें कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की स्थिति सीधे तौर पर आम आदमी से सरोकार रखती है। जॉनिए रुपए की पतली हालत आम आदमी की जेब को कितना ढ़ीली करेगी।
डॉलर बनाम रुपया: अगर बीते 11 दिन की बात की जाए तो रुपए में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है। बीते तीन हफ्तों में रुपए ने तीन बार 65 का स्तर पार किया है। वहीं एक्सपर्ट रुपए के और कमजोर होने की बात कह रहे हैं।
मार्च में किस स्तर तक जा सकता है रुपया?
अजय केडिया का मानना है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 65.60 और 65.70 के स्तर को मार्च के अंत तक छू सकता है। 65.70 को अधिकतम स्तर माना जा सकता है।
रुपए में कब तक सुधार संभव?
अगर मिड टर्म आउटलुक की बात करें तो 3 से 6 महीनों के भीतर भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 63.50 के स्तर पर भी आ सकता है। यह रुपए के लिए एक मजबूत स्थिति होगी।
रुपये के कमजोर से होते हैं ये 4 नुकसान:
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपये के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपये खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपये भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है।
डॉलर होगा मजबूत तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है। यानी आसान शब्दों में भारत का इंपोर्ट बिल (आयात बिल) बढ़ जाएगा।