Move to Jagran APP

रैंकिंग सुधारने के लिए एयर ऑपरेटरों पर सख्ती

भारत की विमानन सुरक्षा रैंकिंग वापस पाने के लिए विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) इन दिनों नॉन शिड्यूल्ड एयर ऑपरेटरों पर सख्ती बरत रहा है। पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी विमानन नियामक एफएए ने डीजीसीए का ऑडिट किया था। इसमें पाई गई सात खामियों के आधार पर भारत की रैंकिंग को कैटेगरी-1 से घटाक

By Edited By: Updated: Tue, 25 Mar 2014 10:04 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की विमानन सुरक्षा रैंकिंग वापस पाने के लिए विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) इन दिनों नॉन शिड्यूल्ड एयर ऑपरेटरों पर सख्ती बरत रहा है। पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी विमानन नियामक एफएए ने डीजीसीए का ऑडिट किया था। इसमें पाई गई सात खामियों के आधार पर भारत की रैंकिंग को कैटेगरी-1 से घटाकर कैटेगरी-2 कर दिया था।

एफएए ने चेतावनी दी थी कि रैंकिंग तभी बहाल होगी जब डीजीसीए अन्य खामियों के अलावा नॉन शिड्यूल्ड ऑपरेटरों को गलत तरीके से दिए गए परमिटों की समीक्षा कर उन्हें नियमित करेगा।

पढ़ें : चुनावी उड़ानों में नियमों का उल्लंघन पड़ेगा भारी

एफएए (फेडरल एविएशन एडमिनिस्टेटर)ने खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज की एविएशन कंपनी रिलायंस कॉमर्शियल डीलर्स को बिना फ्लाइट रेडीनेस जांच के एओपी दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। इस पर डीजीसीए ने आनन-फानन में कंपनी की फ्लाइट रेडीनेस की जांच कर एफएए को सूचित किया। मगर एफएए नहीं पसीजा और उसने कुछ और कदम उठाने को कहा। इसी के मद्देनजर डीजीसीए लगातार नॉन शिड्यूल्ड एयर ऑपरेटरों पर कड़ाई बरत रहा है।

पढ़ें : एयरहोस्टेस ने मारी 'बलम पिचकारी'.तो पायलट हुए सस्पेंड

अभी कुछ रोज पहले ही एक औचक जांच में डीजीसीए ने रिलायंस के एक व्यावसायिक विमान को नियमों के आरोप में उड़ानों से प्रतिबंधित कर दिया। इस विमान को बगैर सुरक्षा उपकरणों और जरूरी कागजात के उड़ाया जा रहा था। इसके पायलट के पास लाइसेंस भी नहीं था। बाद में जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने पर इस प्रतिबंध को हटा भी लिया गया। रिलायंस के अलावा डीजीसीए जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड की ग्लोबल एक्सप्रेस के बीडी700 विमान की भी जांच कर नियम उल्लंघन पर आगाह कर चुका है।

पढ़ें : एयर एशिया इंडिया को उड़ान परमिट जल्द!

एफएए ने डीजीसीए की कार्यप्रणाली में जो अन्य खामियां पाई थीं उनमें अफसरों को रिफ्रेशर ट्रेनिंग न देना, ऑपरेशंस इंस्पेक्टरों की कमी, इंस्पेक्टरों की जरूरत के आकलन का कोई तरीका न होना, एयरवर्दीनेस अफसरों के पास सभी प्रकार के विमानों की जांच का अनुभव न होना शामिल है। इसके अलावा, बोइंग 787 जैसे नए विमानों को प्रमाणित करने की विशेषाता का अभाव, ए320, बी777 और बी787 जैसे विमानों को उड़ानें की एयर इंडिया की क्षमता का आकलन न करना भी इसमें शामिल था। डीजीसीए इनमें से ज्यादातर खामियों को दुरुस्त कर चुका है। डीजीसीए को उम्मीद है कि उसके कदमों से अप्रैल में भारत की रैंकिंग बहाल हो सकती है।