Wilful Defaulters: जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों की बढ़ेंगी मुश्किलें, RBI लाया 'मास्टर प्लान'
बैंक और एनबीएफसी समय-समय पर 25 लाख रुपये से अधिक बकाया रकम वाले सभी एनपीए खातों में विलफुल डिफॉल्ट के एंगल से जांच करेंगे। अगर उन्हें कोई गड़बड़ी नजर आती है तो वे खाते को एनपीए घोषित करने के 6 महीने के भीतर उधारकर्ता को विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। फिर उनके खिलाफ आगे का एक्शन लिया जाएगा।
पीटीआई, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को विलफुल डिफॉल्टर्स और बड़े डिफॉल्टर्स की लगाम कसने के लिए मास्टर निर्देश जारी किया। इसके तहत बैंकों और एनबीएफसी को 25 लाख रुपये और उससे अधिक की बकाया राशि वाले सभी NPA (नॉन-परफॉर्मिंग असेट) खातों में 'विलफुल डिफॉल्ट' पहलू की जांच करनी होगी। इससे विलफुल डिफॉल्टर्स की पहचान करने और उनके खिलाफ एक्शन लेने में आसानी होगी।
क्या होता है विलफुल डिफॉल्टर का मतलब
विलफुल डिफॉल्टर का मतलब ऐसे कर्जदार या गारंटर से होता है, जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाता और डिफॉल्ट कर जाता है। हालांकि, इस स्थिति में विलफुल डिफॉल्टर उन्हीं को माना जाता है, जिनके ऊपर 25 लाख रुपये या इससे अधिक कर्ज होता है।
आरबीआई के मौजूदा निर्देश के अनुसार, बैंक और एनबीएफसी एक खास प्रक्रिया का पालन करके जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों की पहचान करेंगे और उन्हें 'विलफुल डिफॉल्टर' के रूप में वर्गीकृत करेगा। लेकिन, वह शख्स विलफुल डिफॉल्टर है या नहीं, इसकी जांच एक कमेटी करेगी।
कैसे होगी विलफुल डिफॉल्टर की पहचान
बैंक और एनबीएफसी समय-समय पर 25 लाख रुपये से अधिक बकाया रकम वाले सभी एनपीए खातों में विलफुल डिफॉल्ट के एंगल से जांच करेंगे। अगर उन्हें कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो वे खाते को एनपीए घोषित करने के 6 महीने के भीतर उधारकर्ता को विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।
मास्टर निर्देश के अनुसार, बैंकों को एक स्पष्ट मानदंडों वाली नीति तैयार करनी चाहिए, जिसके आधार पर विलफुल डिफॉल्टर घोषित किए शख्स की तस्वीरें छापी जाएंगी। इसमें कहा गया है, "कोई भी बैंक विलफुल डिफॉल्ट करने वाले शख्स या उसकी संस्था को कर्ज नहीं देगा। यह प्रतिबंध उस पर विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट से हटाए जाने के एक साल बाद तक लागू रहेगा।'