Digital Payments: विदेशी मीडिया भी हुआ भारत के UPI का मुरीद, डिजिटल पेमेंट क्रांति की कर रहा तारीफ
भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का विदेशी मीडिया भी मुरीद हो गया है। हाल में सीएनएन ने अपनी एक रिपोर्ट में इस पेटेंट सिस्टम को लेकर आर्टिकल पब्लिश किया है। इस रिपोर्ट में भारत के गांव से लेकर शहरों में यूपीआई पेमेंट सिस्टम की स्वीकार्यता और डिजिटल इकोनॉमी में यूपीआई के योगदान का भी जिक्र भी किया गया है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में मौजूद डिजिटल पेमेंट सिस्टम इस्तेमाल करने में काफी जटिल हैं। उनके मुकाबले भारत का देसी डिजिटल पेमेंट सिस्टम यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) काफी सरल और सुरक्षित है। आज देश के शहर ही नहीं गांव में भी लोग इसके जरिए जमकर पेमेंट कर रहे हैं। हर रोज इसके चलते करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है। देश की गलियों से होता हुआ यूपीआई अब विदेशों में भी जा पहुंचा है। अपनी इन्हीं खूबियों के चलते विदेशी मीडिया भी इसका कायल हो गया है।
विदेशी मीडिया हुआ UPI का मुरीद
यूपीआई सिस्टम की तारीफ करते हुए विदेशी मीडिया CNN ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे इसने ई-पेमेंट सिस्टम में क्रांति ला दी है। इस रिपोर्ट में स्थानीय लोगों और कारोबारियों से बात करते हुए बताया गया कि यूपीआई रियल टाइम फंड ट्रांसजैक्शन की सुविधा देता है। इससे दुकानदार और खरीदार को बहुत आसानी होती है।
रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की महत्वाकांक्षा का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने के प्रयासों में ई-पेमेंट सिस्टम की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है।
सीएनएन ने कॉनेल यूनिवर्सिटी में अर्थशात्र के प्रोफेसर ईश्वर प्रसाद के हवाले से बताया है कि इस ई-पेमेंट सिस्टम की मौजूदा चुनौतियों को कम करने, एफिशिएंसी को बढ़ाकर और लागत को कम करते हुए इसमें और भी वृद्धि की जा सकती है। वे आगे कहते हैं कि यूपीआई और इकोनॉमी के डिजिटलीकरण से विकास में तेजी की संभावना है।
भारत में डिजिटल पेमेंट
भारत में डिजिटल पेमेंट की शुरुआत इंटरनेट बैंकिंग के साथ करीब 15 साल पहले शुरू हुई थी। शुरू में ई-पेमेंट की रफ्तार काफी धीमी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 में भारत में 96 प्रतिशत लेन-देन बैंक नोट के जरिए ही होता था। इसी साल भारत सरकार ने यूपीआई आधारित पेमेंट की शुरुआत की थी। यह पेमेंट सिस्टम ग्राहकों को बैंक डेबिट कार्ड के जरिए मोबाइल एप के जरिए रियल टाइम लेन-देन की सुविधा देता है।इसी साल के अंत में सरकार ने सभी को चौंकाते हुए देश में मौजूद 500 और 1000 रुपये के बैंक नोट बंद कर दिए थे। इन बैंक नोटों की सर्कुलेशन में कुल हिस्सेदारी करीब 86 प्रतिशत थी। अचानक मार्केट से इतनी बड़ी संख्या में नोट गायब होने का फायदा ई-पेमेंट सिस्टम को मिला। इसके साथ ही कोविड महामारी के दौरान साल 2020 में भी यूपीआई को बढ़ावा मिला।