Digital Public Infra: डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का जीडीपी में योगदान 0.9 प्रतिशत, 2030 तक तीन गुना वृद्धि संभव
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में 30 से अधिक देश सामाजिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों में यूपीआइ आधार और बेकन जैसे भारत के डीपीआइ को या तो अपना रहे हैं या लागू करने के लिए शुरुआती चर्चा कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार “साल 2030 तक डीपीआई को अपनाने की क्षमता और बढ़ सकती है।
पीटीआई, नई दिल्ली। आधार (Aadhaar), यूपीआइ(UPI) और फास्टैग(Fastag) जैसे डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (डीपीआइ) से मिलने वाले राजस्व ने 2022 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.9 प्रतिशत का योगदान दिया है। सॉफ्टवेयर कंपनियों के निकाय नासकॉम और प्रबंधन परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीपीआइ ने 2022 में कुल 31.8 अरब डालर के मूल्य का सृजन किया है।
नासकॉम का अनुमान है कि 2030 तक डीपीआइ का जीडीपी में योगदान बढ़कर 2.9 से 4.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय डीपीआइ की मूलभूत परतें पारदर्शिता और विश्वास पर आधारित हैं, जो कागज रहित लेनदेन को बढ़ावा देती हैं, नौकरशाही को कम करती हैं और डिजिटल पहचान और दस्तावेज प्रबंधन की अवधारणा को उन्नत करती हैं।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में 30 से अधिक देश सामाजिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों में यूपीआइ, आधार और बेकन जैसे भारत के डीपीआइ को या तो अपना रहे हैं या लागू करने के लिए शुरुआती चर्चा कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) और फास्टैग जैसे संपूर्ण डीपीआई को 2022 तक तेजी से अपनाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, “साल 2030 तक डीपीआई को अपनाने की क्षमता और बढ़ सकती है। इससे डीपीआई का आर्थिक मूल्यवर्द्धन 2022 के 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 2030 तक जीडीपी का 2.9-4.2 प्रतिशत होने की संभावना है।”