Digital Rupee की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम, भुगतान के तौर-तरीकों में साबित होगा मील का पत्थर
Digital Rupee भारत में ऑनलाइन भुगतान के लिए दिसंबर से डिजिटल रुपया की शुरुआत की गई है। इसे थोक और खुदरा दोनों तरीकों के भुगतान के लिए लाया गया है और फिलहाल चार बैंकों के द्वारा इससे लेन-देन किया जा सकता है।
By Sonali SinghEdited By: Updated: Thu, 22 Dec 2022 07:51 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी ने डिजिटल रुपये की शुरुआत को एक ऐतिहासिक कदम बताया है और आगे चलकर यह मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्रा प्रणाली के सिस्टम में दक्षता लाएगी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगी। बता दें कि डिजिटल रुपये को एक दिसंबर से शुरू किया गया था और इसमें सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को CBDC-W (थोक) और CBDC-R (खुदरा) के रूप में लाया गया है।
RBI उठाएगी जरूरी कदम
उन्होंने कहा कि डिजिटल रुपया भुगतान के तरीके में नया लचीलापन देगा और विदेश में होने वाले भुगतान को भी बढ़ावा देगा। डिजिटल रुपया उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करते हुए जनता को नया अनुभव देगा। साथ ही, इससे सामाजिक और आर्थिक परिणामों से होने वाले नुकसानों से भी बचा जा सकेगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक जरूरी कदम उठाएगा, ताकि संभावित कठिनाइयों और जोखिमों से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को अपनाया जा सके।पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हुआ है शुरू
डिजिटल रुपए के थोक और खुदरा चलन को फिलहाल, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लाया गया है और इसके सफल होने की बाद डिजिटल रुपया का चलन पूरे भारत में आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल चार बैंक भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक देश के चार शहरों में खुदरा डिजिटल रुपया जरिए लेन-देन कर सकते हैं। बाद में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी इस पायलट प्रोजेक्ट से जुड़ेंगे।
क्यों खास है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपये एक तरह की डिजिटल करेंसी है, जिसका इस्तरेमल यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के माध्यम से भुगतानों के लिए किया जा सकता है। साथ ही यह पारंपरिक ऑनलाइन लेन-देन से अलग है।चौधरी ने डिजिटल करेंसी और यूपीआई के बीच के अंतर को समझाते हुए कहा कि सामान्य नोटों की तरह, केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई डिजिटल मुद्रा आरबीआई की देनदारी है, जबकि यूपीआई एक थर्ड पार्टी एप्लीकेशन है, जिसका इस्तेमाल ऑनलाइन भुगतान के लिए यूपीआई के माध्यम से किया जाता है। इससे की गई कोई भी लेनदेन संबंधित बैंक की देनदारी है।
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