विदेश व्यापार में मनीलांडिंग के 900 करोड़ के मामले पकड़े
सरकारी एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में विदेश व्यापार में करीब
By Edited By: Updated: Wed, 22 Jan 2014 09:49 AM (IST)
नई दिल्ली। सरकारी एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में विदेश व्यापार में करीब 900 करोड़ रुपये के मनीलांडिंग के मामले पकड़े हैं। तस्करी और कारोबार में फर्जीवाड़े की निगरानी करने वाली प्रमुख एजेंसी डीआरआइ और केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआइबी) ने अप्रैल-दिसंबर 2013 के बीच 200 मामलों की पहचान की है।
व्यापार आधारित मनीलांडिंग (टीबीएमएल) के इन मामलों में व्यापारिक सौदों के जरिये कालेधन को सफेद करने का तरीका इस्तेमाल किया जाता है। यह काम आयात या निर्यात किए जाने वाले माल की कीमत, गुणवत्ता या मात्र गलत बताकर किया जाता है। खातेदारों के नाम उजागर करने पर 19 फरवरी को सुनवाई टीबीएमएल के तरीकों में वस्तुओं और सेवाओं की ओवर और अंडर-इनवॉयसिंग शामिल है। इसके अलावा, निर्धारित मात्र से कम वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात भी इसके तरीकों में शामिल हैं। राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआइ) का कहना है कि उसने आयात या निर्यात किए जा रहे माल की संदिग्ध खेपों की सूचनाएं अन्य एजेंसियों को उपलब्ध कराने में समन्वय का काम किया है।
3,000 करोड़ का कालाधन पकड़ा वित्त मंत्रालय ने कालेधन पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार तंत्र में बड़े पैमाने पर जोखिम और कमजोर कड़ियां मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल मनीलांडिंग के लिए किया जा सकता है। कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक या वित्तीय संकट का जोखिम कम करने के लिए अपनी रकम अन्य देशों में स्थानांतरित करने के लिए इन कमियों का इस्तेमाल करते हैं।
घरेलू बैंकों के दामन पर भी लगे दाग, कालेधन को लगा रहे हैं ठिकाने रिपोर्ट में कहा गया कि मौद्रिक पाबंदियों को दरकिनार करने के लिए अपनाया जा रहा एक प्रमुख तरीका आयात की ओवर-इनवॉयसिंग और निर्यात की अंडर इनवॉयसिंग करना है। निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं जैसे ड्रॉबैक, ड्यूटी एनटाइटलमेंट पासबुक, ड्यूटी फ्री इम्पोर्ट, विशेष कृषि ग्राम उपज योजना भी कालेधन के प्रवाह के नए कारण बन रहे हैं। निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लाइसेंस और आयात पर ड्यूटी से छूट पाने में कालेधन प्रवाह के कई मामले सामने आए हैं।