F&O को हतोत्साहित करने से बैंक जमा बढ़ाने में मिलेगी मदद- दिनेश कुमार खारा
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से जमा वृद्धि ऋण में बढ़ोतरी के साथ तालमेल बैठाने में असमर्थ है। यह पैसा वैकल्पिक साधनों मसलन पूंजी बाजार में जा रहा है। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक खाता परिवारों की बचत को जमा करने का प्रमुख साधन है और इस पर ब्याज मिलता है।
पीटीआई, मुंबई। SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा का कहना है कि वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) या डेरिवेटिव बाजार से खुदरा निवेशकों को हतोत्साहित करने से बैंकिंग प्रणाली को बेहद जरूरी जमा जुटाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि शार्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को लेकर बजट में किए गए बदलावों से जमा बढ़ाने के नजरिये से ज्यादा फायदा नहीं होगा।
खारा ने कहा कि रेग्युलेटरों की ओर से खुदरा निवेशकों के लिए एफएंडओ (वायदा और विकल्प) जैसी चीजों को हतोत्साहित किया जा रहा है। जो लोग इस तरह के साधन का सहारा ले रहे हैं, वे बैंकिंग प्रणाली में वापस आ सकते हैं। बता दें कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में 90 प्रतिशत निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में यह आशंका पैदा हो रही है कि परिवारों की बचत उत्पादक उद्देश्यों में लगने के बजाय सट्टेबाजी में उड़ रही है।
एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से जमा वृद्धि ऋण में बढ़ोतरी के साथ तालमेल बैठाने में असमर्थ है। यह पैसा वैकल्पिक साधनों मसलन पूंजी बाजार में जा रहा है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक खाता परिवारों की बचत को जमा करने का प्रमुख साधन है और इस पर ब्याज मिलता है। सेबी के अनुसार, अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा निवेशकों को ऐसी गतिविधियों में 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसपर अंकुश लगाने की जरूरत है।