आम चुनाव से पहले मंद पड़ी विनिवेश की प्रक्रिया, ठंडे बस्ते में इन बड़ी कंपनियों की निजीकरण योजनाएं
सरकार चालू वित्त वर्ष में यानी 2023-24 के विनिवेश लक्ष्य (Disinvestment target) को पाने में एक बार विफल रह सकती है। भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और कानकार जैसी बड़ी कंपनियों की निजीकरण योजनाएं पहले से ही ठंडे बस्ते में हैं। विश्लेषकों का मानना है कि निजीकरण की प्रक्रिया अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव ( Lok Sabha Election) के बाद एक फिर रफ्तार पकड़ सकती है।
पीटीआई, नई दिल्ली। कुछ चुनिंदा घरानों को सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने के विपक्षी दलों के आरोपों के बीच केंद्र ने अपनी निजीकरण की प्रक्रिया लगभग रोक दी है। इसकी जगह उसने शेयर बाजारों में अल्पांश हिस्सेदारी बेचने का विकल्प चुना है।
पिछले दस वर्षों के दौरान सरकार ने विनिवेश के जरिये 4.20 लाख करोड़ जुटाए हैं, लेकिन सरकार चालू वित्त वर्ष में यानी 2023-24 के विनिवेश लक्ष्य को पाने में एक बार विफल रह सकती है। भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआइ) और कानकार जैसी बड़ी कंपनियों की निजीकरण योजनाएं पहले से ही ठंडे बस्ते में हैं।
निजीकरण की प्रक्रिया फिर पकड़ेगी रफ्तार
विश्लेषकों का मानना है कि निजीकरण की प्रक्रिया अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के बाद एक फिर रफ्तार पकड़ सकती है। चालू वित्त वर्ष में 51,000 करोड़ रुपये की बजट राशि में से करीब 20 प्रतिशत यानी 10,049 करोड़ रुपये आइपीओ और ओएफएस (बिक्री पेशकश) के माध्यम से अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री के जरिये एकत्र किए गए।एससीआइ, एनएमडीसी स्टील लिमिटेड, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर और आइडीबीआइ बैंक सहित कई केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की रणनीतिक बिक्री चालू वित्त वर्ष में पूरी होने वाली है। हालांकि, अधिकांश सीपीएसई के संबंध में मुख्य एवं गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की विभाजन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है और वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने में देरी हुई है। कुल मिलाकर करीब 11 लेनदेन हैं जो वर्तमान में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में लंबित हैं।
आमंत्रित नहीं किए गए अभिरुचि पत्र
कैबिनेट की सैद्धांतिक मंजूरी के बावजूद आमंत्रित नहीं किए गए अभिरुचि पत्र राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआइएनएल), कंटेनर कारपोरेशन आफ इंडिया (कानकार) और एआइ एसेट होल्डिंग लिमिटेड (एआइएएचएल) की सब्सिडियरी कंपनियां, जिन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) की 'सैद्धांतिक' मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, लेकिन इनके लिए अभिरूचि पत्र (ईओआइ) आमंत्रित नहीं किए गए हैं। एक बाजार विशेषज्ञ ने कहा, 'रणनीतिक विनिवेश निर्णय राजनीतिक आवश्यकताओं से संचालित हो रहे हैं। चुनाव नजदीक होने के कारण हमें रणनीतिक बिक्री के मामले में कोई हलचल की उम्मीद नहीं है।'पीएसयू में हिस्सेदारी बेचने की गति फिलहाल धीमी
पीएसयू में हिस्सेदारी बेचने की गति फिलहाल धीमी पड़ गई है। 2021-2022 की तुलना में 2023 में प्रमुख पीएसयू में हिस्सेदारी बिक्री की संख्या कम रही है। नियामक प्रक्रियाओं, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, कुछ क्षेत्रों में निजीकरण का राजनीतिक विरोध और 2024 आम चुनाव से पहले सरकारी प्राथमिकताओं में बदलाव सहित विभिन्न कारकों के कारण विनिवेश की प्रवृत्ति में गिरावट आई है।
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