Donald Trump Vs Kamala Harris: किसकी जीत से भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था को होगा फायदा?
US Elections 2024 भारत और अमेरिका के बीच काफी पुराने व्यापारिक संबंध हैं। अमेरिका लंबे समय से भारत का सबसे प्रमुख ट्रेड पार्टनर है। भारत की कई बड़ी आईटी फार्मा और एग्रो-केमिकल कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। यही वजह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर भारत की करीबी नजर है। आइए जानते हैं कि ट्रंप और हैरिस में से किसकी नीतियां भारत के लिए फायदेमंद होंगी।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस (Kamala Harris) और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों ही नेताओं की नीतियों में जमीन-आसमान का फर्क है। खासकर, व्यापार, रक्षा और फार्मा सेक्टर की नीतियों में। इनका सीधा भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। साथ ही, दोनों नेताओं का प्रवासियों को लेकर नजरिया भी काफी अलग है।
आइए जानते हैं कि भारत को लेकर हैरिस और ट्रंप की आर्थिक नीतियों में क्या फर्क है और किसके जीतने की सूरत में भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था को अधिक फायदा होगा।
शेयर मार्केट पर कैसा होगा असर?
अमेरिका जाहिर तौर पर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। भारत की आईटी, फार्मा, कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। ऐसे में अमेरिकी नीतियों का भारतीय बाजार पर असर पड़ना लाजिमी है। यही वजह है कि भारतीय निवेशक चुनावी नतीजों से पहले काफी सतर्क रुख अपना रहे हैं।
अगर ऐतिहासिक रूप से देखें, तो डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के मुकाबले कमला हैरिस की डेमोक्रैटिक पार्टी का सत्ता में रहना भारतीय शेयर बाजार के लिए अधिक फायदेमंद रहा है। 2005 से अब तक के आंकड़े देखें, तो निफ्टी ने डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में ज्यादा बेहतर रिटर्न दिया है।
राष्ट्रपति | पार्टी | कार्यकाल | निफ्टी रिटर्न |
जो बाइडेन | डेमोक्रैटिक पार्टी | 2021 से अब तक | 75 फीसदी |
डोनाल्ड ट्रंप | रिपब्लिकन पार्टी | 2017-2021 | 38 फीसदी |
बराक ओबामा (Term II) | डेमोक्रैटिक पार्टी | 2013-2017 | 117 फीसदी |
बराक ओबामा (Term I) | डेमोक्रैटिक पार्टी | 2009-2013 | 45 फीसदी |
जॉर्ज बुश | रिपब्लिकन पार्टी | 2005-2009 | 45 फीसदी |
प्रवासियों को लेकर नजरिया
सत्तारूढ़ डेमोक्रैटिक पार्टी (Democratic Party) की उम्मीदवार कमला हैरिस का प्रवासियों को लेकर काफी संतुलित नजरिया है। वह बिना दस्तावेज वाले शरणार्थियों, खासकर बच्चों को अमेरिकी नागरिकता देने की वकालत करती हैं। कुशल श्रमिक वीजा जैसे कि H-1B का विस्तार के भी हक में हैं। वहीं, ट्रंप सख्त सीमा नियंत्रण के पक्षधर हैं।
इस मामले में कमला हैरिस का रुख भारतीयों के लिए ज्यादा फायदेमंद है। प्रवासियों को लेकर उदार नजरिए अमेरिका में रहने वाले भारतीय परिवारों को स्थिरता और सुरक्षा का माहौल मिल सकता है। वहीं, ट्रंप की सख्त नीतियां अकुशल श्रमिकों पर बुरा असर डाल सकती हैं। लेकिन, आईटी सर्विसेज पर इसका प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है, जो भारत के लिए अच्छी बात है।