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खुशखबरी! अकाउंट में बैलेंस कम है तो भी नहीं लगेगी पेनाल्टी

बचत खाते में न्यूनतम धनराशि (मिनिमम बैलेंस) नहीं होने पर भी बैंक ग्राहकों पर पेनाल्टी न लगाएं। ग्राहकों के हित में कदम उठाते हुए आरबीआइ ने बैंकों को यह हिदायत दी। केंद्रीय बैंक के इस निर्देश का उन लोगों को फायदा होगा जो किसी वजह से अपने बैंक खाते में न्यूनतम धनराशि बरकरार नहीं रख पाते। वर्ष 2014-15

By Edited By: Updated: Wed, 02 Apr 2014 09:30 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बचत खाते में न्यूनतम धनराशि (मिनिमम बैलेंस) नहीं होने पर भी बैंक ग्राहकों पर पेनाल्टी न लगाएं। ग्राहकों के हित में कदम उठाते हुए आरबीआइ ने बैंकों को यह हिदायत दी। केंद्रीय बैंक के इस निर्देश का उन लोगों को फायदा होगा जो किसी वजह से अपने बैंक खाते में न्यूनतम धनराशि बरकरार नहीं रख पाते।

वर्ष 2014-15 के लिए मंगलवार को पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करने के बाद आरबीआइ के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों को ग्राहकों की परेशानी या भूल का अनुचित फायदा नहीं उठाना चाहिए। राजन ने कहा कि सामान्य बचत खाते में मिनिमम बैलेंस न होने पर दंडात्मक शुल्क लगाने के बजाय बैंकों को ऐसे खातों पर मिल रही सेवाओं को सीमित करना चाहिए। जब खाते में न्यूनतम सीमा से अधिक धनराशि हो जाए तो फिर से ये सेवाएं बहाल कर देनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति बचत खाते से लेनदेन नहीं कर रहा है तो उस खाते में न्यूनतम धनराशि न होने पर पेनॉल्टी शुल्क नहीं लगाना चाहिए।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) बुनियादी बचत खाते में न्यूनतम धनराशि न होने पर कोई शुल्क नहीं लगाता। निजी क्षेत्र के आइसीआइसीआइ व एचडीएफसी बैंक के ग्राहक अगर शहरी क्षेत्रों में 10,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 5,000 रुपये प्रति तिमाही न्यूनतम धनराशि के तौर पर अपने खाते में नहीं रखते हैं तो उन्हें 750 रुपये शुल्क देना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने ग्राहकों के हित में फ्लोटिंग रेट वाले मियादी कर्जो के समयपूर्व भुगतान पर भी पेनॉल्टी नहीं लेना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में बैंक अगर उपभोक्ताओं की लापरवाही सिद्ध नहीं कर पाते हैं तो ऐसे मामलों में ग्राहकों की देयता कम रखनी चाहिए। ग्राहकों के हित की रक्षा वित्तीय समावेश का अभिन्न अंग है।

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