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किसानों के नए-नए उत्पादों के लिए खुल रहा निर्यात का दरवाजा, एपिडा का मिल रहा सहयोग

कुछ माह पहले वाराणसी से केले के फूल पत्ते व फल का पहली बार यूएई में निर्यात किया गया और इससे वहां के किसानों को केले के अच्छी कीमत भी मिली और अपने उत्पाद की बिक्री के लिए विदेश में बाजार भी मिला। चालू माह दिसंबर के आरंभ में पूर्वांचल से पहली बार खाड़ी के देशों में तो आलू का भी निर्यात किया गया।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 22 Dec 2023 09:50 PM (IST)
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किसानों के नए-नए उत्पादों के लिए खुल रहा निर्यात का दरवाजा
राजीव कुमार, नई दिल्ली। कुछ माह पहले वाराणसी से केले के फूल, पत्ते व फल का पहली बार यूएई में निर्यात किया गया और इससे वहां के किसानों को केले के अच्छी कीमत भी मिली और अपने उत्पाद की बिक्री के लिए विदेश में बाजार भी मिला।

चालू माह दिसंबर के आरंभ में पूर्वांचल से पहली बार खाड़ी के देशों में तो आलू का भी निर्यात किया गया और इसके साथ ही आलू किसानों के लिए विदेश का दरवाजा खुल गया। इस साल अगस्त में अलीगढ़ से गुआना में आलू भेजा गया था। वैसे ही इन दिनों देश के विभिन्न हिस्सों से केला, गेंदे के फूल, पानी-फल (सिंघाड़ा), अंजीर, बेर, क्रेनबेरी जैसे उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है। यह सब वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास केंद्र (एपिडा) के प्रयास से संभव हो सका है। तभी पिछले साल भारत ने दुनिया के 102 देशों में फल व सब्जी का निर्यात किया था जो इस साल बढ़कर 111 हो गया है।

वाराणसी से कई उत्पादों का निर्यात शुरू

एपिडा के मुताबिक, वाराणसी से कई उत्पादों के निर्यात शुरू होने के पीछे बनारस ऑर्गेनो फार्मर प्रोड्यूसिंग कंपनी का हाथ है जिसकी स्थापना एपिडा के सहयोग से की गई। एपिडा के मुताबिक, वहां के ग्रामीण इलाके में अच्छी पकड़ रखने वाले अभिषेक सिंह ने किसानों की समस्या को लेकर एपिडा से संपर्क किया। किसानों की समस्या पर रिसर्च में पाया गया कि बिचौलिए किसानों के उत्पाद को सही कीमत नहीं देते हैं और उनके उत्पाद को सही प्लेटफार्म भी नहीं मिल रहा है। फिर बनारस प्रोड्यूसिंग कंपनी की स्थापना हुई और एपिडा वहां के किसानों के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर लाने लगा और अब नतीजा सामने है।

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एपिडा के अधिकारियों के मुताबिक, कृषि निर्यात में बढ़ोतरी के लिए वे लगातार किसानों उपज संगठन (FPO) के संपर्क में हैं और उन्हें निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हाल ही में पहली बार नीदरलैंड में केले का निर्यात गया है और अगले तीन साल में इस निर्यात को एक अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। नीदरलैंड के साथ अन्य यूरोपीय देशों में भी केले के निर्यात की संभावना तलाशी जा रही है।

अमेरिका में अनार व आम के निर्यात के लिए एपिडा ने अहमदाबाद, नासिक, बंगलुरू जैसी जगहों पर अमेरिका के इंस्पेक्टर का दौरा करवाया ताकि किसानों को अपने उत्पादों का निर्यात का प्री-लाइसेंस मिल सके। एपिडा ने दक्षिण कोरिया के इंस्पेक्टर को भी भारत का दौरा कराया और इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2023 में वर्ष 2022 के मुकाबले आम का निर्यात दोगुना हो गया। आर्गेनिक उत्पादों की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशालाओं की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है।

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सरकार अब मादक पेय पदार्थों के निर्यात बढ़ाने में जुटी

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मादक पेय पदार्थों का वैश्विक बाजार 100 अरब डॉलर का है और इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 32.5 करोड़ डॉलर की है। मंत्रालय अगले तीन साल में मादक पेय पदार्थों के निर्यात को एक अरब डॉलर तक ले जाना चाहता है। तभी मंत्रालय के सहयोग से आगामी 8-10 जनवरी को ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में आयोजित होने वाले इंडस फूड 2024 में भारतीय मादक पेय पदार्थों की नुमाइश की जाएगी। मंत्रालय के मुताबिक, इस मेले में 2500 से अधिक विदेशी तो 5000 से अधिक देशी खरीदार आ रहे हैं।