FSSAI के पुराने फरमान पर संदेह के बादल, वापस ले लिया गया फैसला
FSSAI ने ए1 और ए2 दूध को लेकर जारी किए गए फरमान को हाल ही में वापस ले लिया है। इसके साथ ही अब तो पुराने फैसले के पीछे अनियमितता के भी संदेह खड़े हो रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की गवर्निंग बाडी के सदस्य एवं पशु विज्ञानी वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (FSSAI) ने जिस तरह आनन फानन में ए1 और ए2 दूध को लेकर फरमान जारी किया था, वैसे ही उसे वापस भी लेना पड़ा। बल्कि अब तो पुराने फैसले के पीछे अनियमितता के भी संदेह खड़े हो रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की गवर्निंग बाडी के सदस्य एवं पशु विज्ञानी वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उन्हें शक है कि किसी लाबी के दबाव मिल्क प्रोडक्ट के ए 1 और ए2 लेबल पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इससे परे FSSAI के उस निर्देश को उपभोक्ता अधिकारों एवं गो-पालकों के संदर्भ में उचित नहीं अनुचित माना जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारतीय डेयरी प्रोडक्ट अभी भी उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी नहीं देता है। इस फैसले से देसी नस्ल के मवेशियों की उपयोगिया भी कम होने की आशंका है।
A2 की लेबलिंग पर रोक का फायदा
FSSAI के पुराने फरमान को उन देशों की डेयरी कंपनियों के हित से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां ए1 दूध का उत्पादन ज्यादा होता है। ध्यान रहे कि कई मेडिकल शोध में भी ए2 को ए1 डेयरी प्रोडक्ट से ज्यादा पौष्टिक माना जाता रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जानने का अधिकार है कि पैसे के बदले उन्हें क्या दिया जा रहा है।A2 की लेबलिंग पर रोक का फायदा उन डेयरी कंपनियों का मिलता जो A1 डेयरी प्रोडक्ट का ज्यादा कारोबार करती हैं। इससे उपभोक्ताओं की पसंद और गो-पालकों के साथ डेयरी कारोबारियों का व्यवसाय प्रभावित हो सकता था। यह भी सच है कि पिछले वर्षों में भारतीय डेयरी में भी ए 1 कैटेगरी दूध देने वाली मवेशियों का प्रवेश हो रहा है।यह भी पढ़ें - A1 और A2 लेबलिंग के साथ बिकता रहेगा दूध, FSSAI ने वापस लिया अपना फैसला
हाल के वर्षों में गाय के दूध का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन उपभोक्ता को इसकी जानकारी नहीं दी जाती है कि वह दूध किस श्रेणी की गाय से लिया गया है। जबकि जिस पैकेट पर गाय का दूध नहीं लिखा होत है वह गाय, भैंस और कुछ अन्य मवेशियों के दूध का मिश्रण हो सकता है। पैकेट पर यह स्पष्ट नहीं किया जाता है कि किसका दूध है। बहुत बड़ी संख्या ऐसे उपभोक्ताओं की है जो भैंस का दूध लेना पसंद करते हैं लेकिन डेयरी ऐसा उत्पाद नहीं दे रही है।