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बैट्री प्लांट लगाने की दौड़ में दर्जन भर देशी-विदेशी कंपनियां, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एलजी जैसी बड़ी कंपनियों ने दिखाई रूचि

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की पहुंच बढ़ाने और घरेलू बाजार में उनकी लागत कम करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार जल्द ही इन वाहनों के लिए बैटरी के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्कीम लेकर आ रही है। यह केंद्र सरकार की दूसरी उत्पादन प्रोत्साहन योजना होगी जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के उत्पादन को बढ़ावा देना है।

By Jagran NewsEdited By: Gaurav KumarUpdated: Tue, 14 Nov 2023 09:30 PM (IST)
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केंद्र सरकार की तरफ से इवी बैट्री निर्माण को बढ़ावा देने की दूसरी प्रोत्साहन स्कीम (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव-पीएलआई) होगी।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के प्रचलन को बढ़ाने और घरेलू बाजार में इनकी लागत को घटाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार जल्द ही इन कारों में इस्तेमाल होने वाले बैट्रियों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए एक स्कीम ले कर आ रही है।

यह केंद्र सरकार की तरफ से इवी बैट्री निर्माण को बढ़ावा देने की दूसरी प्रोत्साहन स्कीम (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव-पीएलआई) होगी।

स्कीम को लॉन्च करने के लिए दिया गया अंतिम रूप

पिछले हफ्ते ही केंद्रीय बिजली मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय के बीच हुई बैठक में इस स्कीम को लांच करने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है।

इस बार की स्कीम का आकार तकरीबन 8000 करोड़ रुपये का होगा। इस बारे में जानकारी रखने वाले उद्योग सूत्रों ने बताया है कि बैट्री निर्माण में रूचि रखने वाली तकरीबन दस देशी और विदेशी कंपनियों के प्रतिनिधियों से सरकार से बात भी की है।

इन कंपनियों ने दिखाई रूचि

सरकार की इस स्कीम को लेकर रूचि दिखाने वाली कंपनियों में एलजी इलेक्ट्रोनिक्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, अमारा राजा, एक्साइड इंडिया, लार्सन एंड टुब्रो जैसी दिग्गज कंपनियां हैं।

इन कंपनियों की तरफ से संयुक्त तौर पर बैट्री निर्माण में 25-30 हजार करोड़ रुपये का नया निवेश किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने मई, 2021 में घरेलू स्तर पर ईवी के लिए बैट्री निर्माण के लिए पहली पीएलआई स्कीम लांच की थी। तब सरकार की तरफ से 18,100 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देने का ऐलान किया गया था।

रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओला इलेक्टि्रक मोबिलिटी और राजेश एक्सपो‌र्ट्स का चयन किया गया था। तब बताया गया था कि इन कंपनियों की तरफ से बैट्री निर्माण में कुल 45,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा सकता है।

फिलहाल गिने चुने देशों के पास तकनीक

भारत सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों में सिर्फ एडवांस केमिस्ट्री सेल बैट्री लगाने को बढ़ावा देना चाहती है। अभी इस बारे में बहुत ही गिने चुने देशों के पास ही तकनीक है।

भारत अभी पूरी तरह से आयातित इवी बैट्री पर निर्भर है। इसका तकरीबन 90-92 फीसद हिस्सा चीन से आयात होता है। पिछले दो वर्षों में कई आटोमोबाइल कंपनियों ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की शुरुआत कर दी है लेकिन इनके लिए बैट्री चीन से ही आयात हो रहे हैं।

पिछले दिनों इवी को प्रचलित करने को लेकर बुलाई गई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह मुद्दा भी उठा था कि कहीं घरेलू इवी को बढ़ावा देना चीन की बैट्री उद्योग को बढ़ावा देना तो नहीं है।

सरकार के स्तर पर बैट्री निर्माण को बढ़ावा देने के पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है कि चीन सरकार बैट्री निर्यात पर अंकुश लगाने पर विचार कर रही है।

दरअसल, इवी बैट्री निर्माण में जिस तरह के कच्चे माल की जरूरत है उसकी वैश्विक स्तर पर आपूर्ति सीमित है। चीन के घरेलू बाजार में भी इवी की मांग काफी तेज है। पिछले महीने चीन ने यह घोषणा की है कि वह बैट्री बनाने में इस्तेमाल होने वाले ग्रेफाइट के निर्यात को नियंत्रित करेगा।