बंपर पैदावार का किसानों को उठाना पड़ सकता है खामियाजा, बासमती जैसी प्रजाति वाले धान का रहा सबसे बुरा हाल
धान की सरकारी खरीद में पंजाब इस बार भी सबसे आगे रहा जबकि हरियाणा धान की खरीद पिछले साल के मुकाबले कम रह सकती है। अन्य धान उत्पादक राज्यों में सरकारी खरीद के अब रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।
By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Wed, 11 Nov 2020 10:08 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चालू खरीफ सीजन में धान की खरीद भले ही 21 फीसद आगे चल रही हो, लेकिन इस बार बंपर पैदावार के चलते कई राज्यों की मंडियों में कीमतें औसत से नीचे आ गई हैं। खरीफ सीजन में धान की बंपर पैदावार का खामियाजा कई राज्यों में धान किसानों को उठाना पड़ रहा है। बासमती और उससे मिलती जुलती प्रजाति वाले धान की फसल की मंडियों में कद्र नहीं है। भाव पिछले साल के मुकाबले बहुत नीचे चल रहा है।
धान की सरकारी खरीद में पंजाब इस बार भी सबसे आगे रहा, जबकि हरियाणा धान की खरीद पिछले साल के मुकाबले कम रह सकती है। अन्य धान उत्पादक राज्यों में सरकारी खरीद के अब रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। हरियाणा की मंडियों में दूसरे राज्यों से होने वाली धान की आवक को रोक देने का असर उसकी सरकारी खरीद घट सकती है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में पूछने पर बताया कि सरकारी खरीद का दायित्व राज्य सरकारों का होता है। केंद्रीय एजेंसी भारतीय खाद्य निगम केवल उस राज्य को वित्तीय मदद मुहैया कराता है।
कृषि सुधार के नए कानून में किसान अपनी उपज को किसी भी राज्य की मंडी में बेचने का अधिकार प्राप्त होने के बावजूद हरियाणा ने इस तरह का प्रतिबंध लगाया है। इस पर टिप्पणी करते हुए मंत्रालय ने बताया कि सरकारी खरीद वाले धान को दूसरा राज्य लेने से मना कर सकता है। क्यों कि खरीद प्रबंधन और भंडारण की उसकी अपनी सीमाएं हो सकती हैं। हरियाणा में अभी तक 53 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल की अवधि के मुकाबले नौ लाख टन कम है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में 1121 पूसा प्रजाति और इसी तरह की कई बासमती प्रजाति वाले धान की खेती होती है। इन प्रजातियों के न तो समर्थन मूल्य घोषित किए जाते हैं और न ही सरकारी खरीद होती है। खुले बाजार में इन प्रजातियों के भाव पिछले साल के मुकाबले 800 से एक हजार रुपए तक नीचे बोले जा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से बासमती प्रजाति वाले धान की आवक को हरियाणा की मंडियों में आने से रोकना और भी भारी पड़ गया।
गैर बासमती प्रजाति के मोटे धान की खरीद के मामले में उत्तर प्रदेश में खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा दी गई है, लेकिन बंपर पैदावार के चलते धान की पर्याप्त खरीद नहीं हो पाने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। तराई वाले जिलों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीद को लेकर मारामारी मची हुई है।