Move to Jagran APP

तकनीकी कारणों से निर्यात होने वाले सिर्फ 0.2 मसाले में पाई जाती है कमी

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत मसाले की गुणवत्ता मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों का पूरी तरह से पालन करता है लेकिन खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले एथलिन आक्साइड (ईटीओ) की मात्रा को लेकर अलग-अलग देशों ने अलग-अलग मानक तय कर रखा है जबकि डब्ल्यूएचओ की तरफ से इसे लेकर कोई मात्रा निर्धारित नहीं है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Mon, 20 May 2024 09:30 PM (IST)
Hero Image
सिंगापुर में प्रति किलोग्राम 50 एमजी तक ईटीओ के इस्तेमाल की इजाजत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक निर्यात होने वाले सिर्फ 0.2 प्रतिशत मसालों में तकनीकी कारणों से कुछ कमी पाई जाती है और उसे आधार बनाकर कुछ देश भारतीय मसाले की खेप को खारिज कर देते हैं। यह सामान्य प्रक्रिया है। भारत ने भी आयात होने वाले 0.73 प्रतिशत खाद्य आइटम को पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में खारिज किया है।

इसलिए होता है ईटीओ का इस्तेमाल

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत मसाले की गुणवत्ता मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों का पूरी तरह से पालन करता है, लेकिन खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले एथलिन आक्साइड (ईटीओ) की मात्रा को लेकर अलग-अलग देशों ने अलग-अलग मानक तय कर रखा है जबकि डब्ल्यूएचओ की तरफ से इसे लेकर कोई मात्रा निर्धारित नहीं है। बैक्टीरिया जैसी चीजों को कम करने के लिए खाद्य पदार्थों में ईटीओ का इस्तेमाल किया जाता है।

कितने ईटीओ इस्तेमाल की इजाजत 

सिंगापुर में प्रति किलोग्राम 50 एमजी तक ईटीओ के इस्तेमाल की इजाजत है तो कनाडा व अमेरिका में ईटीओ की निर्धारित मात्रा सात एमजी प्रति किलोग्राम है। हांगकांग में ईटीओ के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध है और इस आधार पर ही हांगकांग ने भारतीय मसाले की कुछ खेप को खारिज किया और उसके बाद सिंगापुर में भारतीय मसाले की कुछ खेप में कमी पाई गई। इसे देख कुछ अन्य देशों ने भी भारतीय मसाले की जांच करने की बात कही। हांगकांग व सिंगापुर में एमडीएच और एवरेस्ट ब्रांड के मसालों पर सवाल खड़े किए गए थे।

मसाला निर्यात में हुई बढ़ोत्तरी

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक वहां भेजे गए इन दोनों ब्रांड के मसाले की जांच की गई जिसमें एमडीएच मसाले में कोई कमी नहीं पाई गई, लेकिन एवरेस्ट में कुछ कमी पाई गई और उनके खिलाफ मसाला बोर्ड कार्रवाई भी करने जा रहा है। अब हांगकांग व सिंगापुर जाने वाले सभी मसाले की जांच अनिवार्य कर दी गई है। मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक हांगकांग व सिंगापुर प्रकरण से भारतीय मसाले के निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।

इस साल अप्रैल में मसाले के निर्यात में पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 12.27 प्रतिशत तो गत वित्त वर्ष 2023-24 में मसाले के निर्यात में 12.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। दूसरी तरफ मसाला निर्यातकों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान भारतीय मसाले के निर्यात में तेज बढ़ोतरी हुई और अन्य वस्तुओं के निर्यात में कमी के विपरीत भारतीय मसाले के निर्यात में तेजी बरकरार है। निर्यातकों का मानना है कि वैश्विक बाजार में कारोबारी प्रतिस्पर्धा की वजह से भी भारतीय मसाले पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें- टायर इंडस्ट्री को FTA से बाहर रखने की गुहार, 10 लाख से अधिक रबड़ उत्पादकों की रोजी-रोटी का हवाला