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ई-कॉमर्स के जरिए छोटे-छोटे उद्यमी कर सकेंगे निर्यात, 7 साल में भारत का Export 200 अरब डॉलर के पार की संभावना

ई-कामर्स की मांग भारत के अलावा विदेश में भी हो रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले 6-7 साल में ई-कामर्स निर्यात 200 अरब डॉलर तक जा सकता है। इसका लाभ छोटे-छोटे उद्यमी को होगा। इसके बाद देश के छोटे-छोटे उद्यमी भी निर्यात करने लगेंगे। फिलहाल देश में ई-कामर्स निर्यात 1.2 अरब डॉलर के आसपास है। पढ़िए पूरी खबर..

By Jagran NewsEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 17 Nov 2023 07:30 PM (IST)
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ई-कामर्स के जरिए छोटे-छोटे उद्यमी कर सकेंगे निर्यात

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ई-कॉमर्स के जरिए निर्यात को बढ़ाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और इसका फायदा यह होगा कि ऑनलाइन प्लेटफार्म पर अभी घरेलू स्तर पर सामान बेचने वाले छोटे-छोटे उद्यमी भी निर्यात करने लगेंगे। शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि अगले छह-सात साल में भारत का ई-कॉमर्स निर्यात 200 अरब डॉलर तक जाने की संभावना है जो फिलहाल सिर्फ 1.2 अरब डॉलर के आसपास है।

एक औद्योगिक संगठन के कार्यक्रम में सारंगी ने कहा कि ई-कॉमर्स के प्रोत्साहन में मुख्य रूप से लॉजिस्टिक, ई-कॉमर्स सर्विस प्लेटफार्म मुहैया कराने वाले, अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली और इसे रेगुलेट करने वाली आरबीआई, राजस्व विभाग व डीजीएफटी जैसी एजेंसियों की भूमिका है। सारंगी ने कहा कि ई-कॉमर्स निर्यात को 200 अरब डॉलर तक ले जाने के लिए लॉजिस्टिक सुविधा में बदलाव के साथ नीति निर्माण और ई-कॉमर्स निर्यात को लेकर नियामक एजेंसियों के सोच में भी बदलाव करना होगा।

ई-कॉमर्स निर्यात में बढ़ोतरी

ई-कॉमर्स निर्यात में जबरदस्त संभावना हैं, लेकिन इसके लिए उत्पादों में विविधता के साथ उत्पादों में नवाचार और उद्यमियों में निर्यात बाजार की पहचान की क्षमता विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नियामक एजेंसियां अभी बिजनेस टू बिजनेस (बीटूबी) स्तर पर ही ई-कॉमर्स निर्यात के बारे में सोचती हैं। अब इस सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स निर्यात में फिनटेक की बड़ी भूमिका हो सकती है और वे ई-कॉमर्स निर्यातकों को भुगतान प्रणाली में मदद कर सकते हैं।

भारत ने भविष्य में अपने वस्तु व सेवा निर्यात को दो लाख करोड़ डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने में ई-कॉमर्स निर्यात की अहम भूमिका हो सकती है। जानकारों के मुताबिक सरकार छोटे-छोटे उद्यमी को ई-कॉमर्स निर्यात से जोड़ना चाहती है। तभी डाकघर में ई-कॉमर्स निर्यात के लिए पार्सल खिड़की अलग से बनाई गई और डाकघर में ही उन्हें कस्टम क्लीयरेंस मिल जाता है। प्रमुख जिलों में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र खोले जाएंगे जहां से आसपास के जिलों के उद्यमी अपने सामान का निर्यात कर सकेंगे। विदेशी व्यापार नीति में इसकी घोषणा की गई थी जिस पर काम चल रहा है।