एमएसएमई को आसान कर्ज सुविधा, गुणवत्ता बढ़ाने में भी मदद
एमएसएमई को सबसे अधिक कठिनाई कर्ज लेने में ही आती है। इस बार के बजट में सरकार ने इस समस्या को दूर करने की कोशिश की है। कई बार एमएसएमई इसलिए भी अपने उत्पादन को नहीं बढ़ा पाते हैं क्योंकि उनके पास नई मशीनरी खरीदने के लिए पूंजी नहीं होती है और बैंक बिना किसी गिरवी या थर्ड पार्टी गारंटी के उन्हें मशीनरी के लिए जल्दी कर्ज नहीं देता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के जीडीपी और निर्यात दोनों में ही 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने वाले एमएसएमई को सबसे अधिक कठिनाई कर्ज लेने में ही आती है। इस बार के बजट में सरकार ने इस समस्या को दूर करने की कोशिश की है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम लांच
कई बार एमएसएमई इसलिए भी अपने उत्पादन को नहीं बढ़ा पाते हैं, क्योंकि उनके पास नई मशीनरी खरीदने के लिए पूंजी नहीं होती है और बैंक बिना किसी गिरवी या थर्ड पार्टी गारंटी के उन्हें मशीनरी के लिए जल्दी कर्ज नहीं देता है।
इस बार बजट में मशीनरी की खरीदारी के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम लांच की गई है। इस स्कीम के तहत सेल्फ फाइनेंसिंग गारंटी फंड बनाया जाएगा जिसके तहत 100 करोड़ तक के लोन की गारंटी होगी।
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MSME को आसानी से मिलेगा लोन
कर्ज लेने वाले एमएसएमई को सिर्फ अपफ्रंट गारंटी फीस देनी होगी। डिजिटल ट्रांजेक्शन के आधार पर भी एमएसएमई को लोन दिए जाएंगे। बजट की घोषणा के मुताबिक बैंक एमएसएमई को डिजिटल लेनदेन के मूल्यांकन के आधार पर उन्हें लोन देगा। कई ऐसे छोटे उद्यमी है जो अकेले ही कारोबार करते हैं और उनके टर्नओवर का मूल्यांकन करना आसान नहीं होता है।लेकिन वे डिजिटल ट्रांजेक्शन करते हैं।
इस प्रकार के उद्यमियों को कारोबार बढ़ाने के लिए आसानी से लोन मिल सकेगा। कारोबारी परेशानी की वजह से एमएसएमई का कारोबार कई बार दिक्कत में आ जाता है और वे बैंक के कर्ज को नहीं चुका पाते हैं। एक से अधिक किस्त नहीं चुका पाने पर उनका खाता स्पेशल मेंशन खाता बन जाता है और वे एनपीए घोषित होने के कगार पर आ जाते हैं। ऐसा होने पर उन्हें बैंक से भविष्य में कर्ज नहीं मिलने में कठिनाई होती है।
एमएसएमई को इस परेशानी से बचाने के लिए अलग से फंड बनाने की घोषणा की गई है।वहीं एमएसएमई से जुड़े सभी बड़े क्लस्टर में अगले तीन साल में सिडबी अपनी शाखा खोलेगा और सीधे तौर पर वहां के एमएसएमई को लोन देगा। इस साल 24 ऐसी शाखा खोलने का लक्ष्य रखा गया है।एमएसएमई के उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ जाने पर उन्हें काफी फायदा हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए खाद्य आइटम से जुड़े एमएसएमई सेक्टर में उनकी गुणवत्ता जांच को लेकर 50 यूनिट खोलने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
एमएसएमई इन दिनों 45 दिनों के भीतर भुगतान के नियम से परेशान चल रहे हैं, क्योंकि किसी भी खरीदारी के 45 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने पर बकाया राशि उद्यमी की आय बन जाती है और उस पर टैक्स लग जाता है। एमएसएमई 45 दिन की अवधि को बढ़ाकर 90 दिन करने की मांग कर रहे थे, लेकिन बजट में उनकी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया।यह भी पढ़ें- Union Budget 2024: वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman का महिलाओं के तोहफा! सोने-चांदी के दाम में होगी भारी कटौती