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Economic Survey 2024: निजी कंपनियों को सलाह- रोजगार और सैलरी में बढ़ोत्तरी से होगा लाभ

आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक 33000 कंपनियों के एक सर्वे में पाया गया कि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच कॉरपोरेट सेक्टर का वित्तीय प्रदर्शन तो काफी शानदार रहा टैक्स पूर्व उनके मुनाफे में चार गुना बढ़ोतरी रही। निजी सेक्टर की तरफ से रोजगार में बढ़ोतरी के अलावा आर्थिक सर्वेक्षण में श्रम संबंधी कई ऐसे नियम को बदलने की भी सिफारिश की गई है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Mon, 22 Jul 2024 10:31 PM (IST)
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वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच कॉरपोरेट सेक्टर का वित्तीय प्रदर्शन तो काफी शानदार रहा,

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रोजगार सृजन में धीमी प्रगति को लेकर सरकार के नियमों के साथ नियुक्ति को लेकर कारपोरेट सेक्टर का रवैया भी जिम्मेदार है। रोजगार सृजन का काम मुख्य रूप से निजी सेक्टर में ही होता है, लेकिन अपने वित्तीय प्रदर्शन के मुताबिक भारत के निजी सेक्टर रोजगार सृजन में बहुत योगदान नहीं दे रहे हैं।

कंपनियों की बढ़ी कमाई पर नहीं बढ़ा रोजगार

आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक 33,000 कंपनियों के एक सर्वे में पाया गया कि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच कॉरपोरेट सेक्टर का वित्तीय प्रदर्शन तो काफी शानदार रहा, टैक्स पूर्व उनके मुनाफे में चार गुना बढ़ोतरी रही, लेकिन उस अनुपात में कॉरपोरेट ने नई नियुक्ति और कर्मचारियों की सैलरी बढ़ोतरी नहीं की। जबकि कर्मचारियों की नियुक्ति और उनकी सैलरी में बढ़ोतरी कंपनियों के ही हित में है। गैर कृषि कंपनियों में मिलने वाले रोजगार में भी पिछले पांच सालों में कमी आई है।

कई नियमों को बदलने की सिफारिश

निजी सेक्टर की तरफ से रोजगार में बढ़ोतरी के अलावा आर्थिक सर्वेक्षण में श्रम संबंधी कई ऐसे नियम को बदलने की भी सिफारिश की गई है जिससे कर्मचारियों को काम मिलने में दिक्कत आती है और इससे मैन्युफैक्चरिंग भी प्रभावित हो रहा है। उदाहरण के लिए भारत में ओवरटाइम करने पर 100 प्रतिशत का प्रीमियम देना पड़ता है जबकि चीन, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया व अमेरिका में ओवरटाइम करने पर 50 प्रतिशत प्रीमियम देना पड़ता है। फ्रांस व जापान में ओवरटाइम करने पर 25 प्रतिशत का प्रीमियम है।

नई श्रम संहिता में कई मुद्दों पर ध्‍यान देने की जरूरत

इसके अलावा देश के 10 सबसे अधिक आबादी वाले राज्य 139 प्रकार के उत्पादन कार्य में महिलाओं को काम करने की इजाजत नहीं देते हैं। भारत में फैक्ट्री में काम करने का वर्किंग आवर 10.5 घंटे है तो बांग्लादेश में यह वर्किंग आवर 11 घंटे, वियतनाम में 12 घंटे तो चीन, डेनमार्क, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में कोई वर्किंग आवर निर्धारित नहीं है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि सरकार की नई श्रम संहिता में इन मुद्दों को देखा जाना चाहिए।

कुछ कानूनी प्रविधानों को बदलने की जरूरत

सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्तमान श्रम कानून में कई ऐसे प्रविधान है जो रोजगार सृजन में बाधक है जिन्हें नए श्रम कानून में बदलने की आवश्यकता है। रोजगार सृजन और उत्पादकता मुख्य रूप से राज्य से जुड़े मामले हैं और रोजगार सृजन के लिए राज्यों को अपनी नीति को बदलने की जरूरत है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े 40 प्रतिशत से अधिक रोजगार सिर्फ तीन राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात में दिए जा रहे हैं।

AI का रोजगार पर पड़ सकता है असर

सर्वेक्षण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव के विस्तृत विश्लेषण और उस पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबकुछ इस पर निर्भर करता है कि हम टेक्नोलॉजी का किस रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसका इस्तेमाल हम ऑटोमेशन में करते हैं या फिर समस्याओं को हल करने में या फिर नीति बनाने में।

गैर कृषि क्षेत्र में 78.5 लाख रोजगार पैदा करने की आवश्‍यकता

सर्वेक्षण में कहा गया है कि विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए गैर कृषि क्षेत्र में 2030 तक हर साल 78.5 लाख रोजगार का सृजन करना होगा और वर्ष 2036 तक इसे सालाना 80 लाख तक ले जाना होगा। सर्वेक्षण के मुताबिक इस काम को अंजाम देने के लिए सरकार को जारी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम की तरह, टेक्सटाइल पार्क और मुद्रा जैसी स्कीम की तरह कुछ और स्कीम लाने की जरूरत है।