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Economic Survey 2024: कौशल विकास के माध्यम से रोजगार, दिशा सही, मंजिल अभी दूर

रोजगार और कौशल विकास को प्राथमिकता पर रखते हुए सरकार ने इशारा कर दिया कि मोदी 3.0 कार्यकाल में इस क्षेत्र के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले जा सकते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की ओर से दावा किया गया है कि 2017-18 से 2022-23 की अवधि में ग्रामीण शहरी और महिला-पुरुष यानी लिंग वर्गीकरण सहित सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण में कुशल श्रम बल के अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Mon, 22 Jul 2024 08:08 PM (IST)
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मोदी 3.0 कार्यकाल में इस क्षेत्र के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले जा सकते हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कौशल विकास के लिए मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से चल रहे प्रयासों के परिणाम इतना तो आश्वस्त करते हैं कि प्रयास सही दिशा में हैं, लेकिन सरकार के ही आंकड़े यह स्थिति भी स्पष्ट करते हैं कि मंजिल अभी बहुत दूर है। आर्थिक सर्वेक्षण में श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट-2022-23 के हवाले से बताया गया है कि 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के मात्र 4.4 प्रतिशत युवाओं ने ही औपचारिक रूप से व्यावसायिक या तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि अन्य 16.6 प्रतिशत ने अनौपचारिक माध्यम से प्रशिक्षण लिया है।

रोजगार और कौशल विकास को प्राथमिकता पर रखते हुए सरकार ने इशारा कर दिया है कि मोदी 3.0 कार्यकाल में इस क्षेत्र के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोले जा सकते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की ओर से दावा किया गया है कि 2017-18 से 2022-23 की अवधि में ग्रामीण, शहरी और महिला-पुरुष यानी लिंग वर्गीकरण सहित सामाजिक-आर्थिक वर्गीकरण में कुशल श्रम बल के अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

मसलन, 2017-18 में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के 2.5 प्रतिशत युवा कुशल श्रेणी में थे, जबकि 2022-23 में यह आंकड़ा 4.4 प्रतिशत हो गया। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में इसी समयावधि में यह आंकड़ा 1.7 से बढ़कर 3.4 प्रतिशत, शहरी में 4.4 से वृद्धि कर 7.2 प्रतिशत हो गया। कुशल महिलाओं के आंकड़े में लगभग दोगुणी वृद्धि हुई है। यह 2.2 से बढ़कर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के आंकड़े प्रदर्शित करते हुए सरकार ने यह भी बताया है कि पिछले बजट में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित करने की घोषणा की थी।

वाराणसी और भुवनेश्वर में केंद्र शुरू कर दिए गए हैं। बाकी के लिए स्थानों का चयन हो चुका है और पहले चरण के तहत जल्द ही सात नए केंद्र स्थापित किए जाएंगे। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने संभावनाओं के साथ चुनौतियों की ओर भी इंगित किया है। जैसे कि स्किल गैप को कम करने में शिक्षुता प्रशिक्षण कार्यक्रमों यानी इंटर्नशिप को महत्वपूर्ण माना गया है, लेकिन शिक्षा जगत और उद्योग के बीच समन्वय की कमी है। बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण को अकादमिक शिक्षा से कमतर मानने की नकारात्मक धारणा सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

केंद्र सरकार कौशल विकास के प्रयासों को और गति देने की इच्छा जता चुकी है। साथ ही कहा है कि बाजार यानी नियोक्ता भी कुशल कार्य बल से लाभान्वित होते हैं। वह कौशल विकास के लिए सुविधाओं का विकास कर सकते हैं, बशर्ते कि राज्य सरकारें भूमि की उपलब्धता सहित उनकी राह की अन्य बाधाएं दूर करने का प्रयास करें।