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Economic Survey 2024: F&O ट्रेडिंग पर आर्थिक सर्वे ने जताई चिंता, क्या बजट में होगा टैक्स बढ़ाने का एलान?

इकोनॉमिक सर्वे ने फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में खुदरा निवेशकों के बढ़ते पार्टिसिपेशन पर चिंता जताई है। सर्वे के मुताबिक इस तरह स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग की भारत जैसे विकासशील देश में कोई जगह नहीं। इसमें आगाह किया गया है कि शेयर बाजारों में किसी भी संभावित गिरावट से निवेशक ठगा हुआ महसूस कर सकते हैं। फिर हो सकता है कि वे लंबे समय तक शेयर बाजार में न लौटे।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 22 Jul 2024 06:54 PM (IST)
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अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजार में लगा रहे हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। आर्थिक सर्वे में शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी में हुई उल्लेखनीय वृद्धि के प्रति चिंता जाहिर की गई। सर्वे में कहा गया है कि बाजार की स्थितियों को जांचें-परखें बिना ऊंचे रिटर्न की उम्मीद करना चिंता का विषय है। हालांकि इसी के साथ सर्वे में यह भी कहा गया है कि खुदरा निवेशकों की बढ़ी हुई हिस्सेदारी पूंजी बाजार को स्थिरता प्रदान करती है।

पिछले कुछ सालों के दौरान अपने खुदरा निवेशकों ने अपने खाते से पूंजी बाजार में सीधी खरीदारी की या म्यूचुअल फंड के माध्यम से बड़ी मात्रा में परोक्ष खरीदारी की है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, 'इक्विटी कैश सेगमेंट टर्नओवर में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 2023-24 (वित्त वर्ष 24) में 35.9 प्रतिशत थी। दोनों डिपॉजिटरी (एनएसई और बीएसई) के पास डीमैट खातों की संख्या वित्त वर्ष 2022-23 में 11.45 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 15.14 करोड़ हो गई।

20 फीसदी परिवार की घरेलू बचत शेयर बाजार में

बाजार में निवेशकों की इस आमद का असर एक्सचेंजों के साथ नए निवेशक पंजीकरण, कुल कारोबार मूल्य में उनकी हिस्सेदारी, शुद्ध निवेश में भी दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, एनएसई में पंजीकृत निवेशकों की संख्या मार्च 2020 से लगभग तीन गुना बढ़कर 31 मार्च, 2024 तक 9.2 करोड़ हो गई है। इसका सीधी मतलब यह है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार अपनी घरेलू बचत को वित्तीय बाजार में लगा रहे हैं।

शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की होने वाली वृद्धि पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि अति आत्मविश्वास के चलते अधिक रिटर्न की उम्मीद करना बाजार परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हो सकती है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।

निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त मंत्री

डेरिवेटिव के खिलाफ लोगों को जागरूक करें डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की रुचि को देखते हुए सर्वे में कहा गया है, ''डेरिवेटिव हे¨जग इंस्ट्रूमेंट है। इसका उपयोग दुनियाभर के निवेशकों द्वारा सट्टा इंस्ट्रूमेंट के रूप में किया जाता है। भारत संभवत: इसका अपवाद नहीं है।' सर्वेक्षण में कहा गया है, ''डेरिवेटिव ट्रे¨डग में बहुत अधिक लाभ की संभावना है। इस तरह यह लोगों को जुआ खेलने की प्रवृत्ति की ओर उकसाता है।'' सर्वे में डेरिवेटिव के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का आह्वान किया गया है।

वृद्धि गाथा में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं पूंजी बाजार

पूंजी बाजारों की देश की वृद्धि की गाथा में अब प्रमुख भूमिका बनती जा रही है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है। समीक्षा में कहा गया कि नवोन्मेष और डिजिटलीकरण के दम पर पूंजी निर्माण और निवेश परि²श्य में बढ़ती हिस्सेदारी के साथ पूंजी बाजार देश की वृद्धि गाथा में अपनी भूमिका बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा आज भारतीय बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक झटकों को झेलने में अधिक सक्षम हैं।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम, बढ़ती ब्याज दरों और ¨जस कीमतों में अस्थिरता के बावजूद भारतीय पूंजी बाजार का प्रदर्शन बीते वित्त वर्ष में अन्य उभरते बाजारों में सबसे बेहतर रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में बीएसई का 30 शेयर वाला सूचकांक सेंसेक्स करीब 25 प्रतिशत चढ़ा। चालू वित्त वर्ष में भी यही रुख जारी है और तीन जुलाई को सेंसेक्स दिन में कारोबार के दौरान पहली बार 80,000 अंक के स्तर को छू गया।

म्यूचुअल फंड के लिए शानदार रहा वित्त वर्ष 2024 वित्त वर्ष 2024 के अंत में उनके प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) में 14 लाख करोड़ रुपये या 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 53.4 लाख करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में 14.6 करोड़ से वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में फोलियो की कुल संख्या बढ़कर 17.8 करोड़ हो गई।

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