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विकास की गति को कायम रखने में अर्थव्यवस्था पहले से अधिक मजबूत स्थिति में: वित्त मंत्रालय

गुरुवार को जारी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक आपूर्ति पक्ष से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश राजस्व की मजबूत और डिजिटल मदद से लोन लेन-देन की बेहतर स्थिति से भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी विकास की गति को कायम रखने में पूरी तरह से सक्षम है। इसके अलावा अल-नीनो का असर होने के बावजूद खरीफ की बुवाई में बढ़ोतरी की उम्मीद है। (फोटो-जागरण)

By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Thu, 06 Jul 2023 08:36 PM (IST)
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Economy in a stronger position than ever before to maintain growth momentum: Finance Ministry
नई दिल्ली, राजीव कुमार। वित्त मंत्रालय का मानना है कि विकास की गति को कायम रखने में अर्थव्यवस्था पहले से अधिक मजबूत स्थिति में है। लेकिन यह वक्त आराम का नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के सामने भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय अस्थिरता, दुनिया के बाजार में हो रही गिरावट और अल-नीनो की आशंका जैसी चुनौतियां भी हैं।

गुरुवार को जारी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक आपूर्ति पक्ष से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश, राजस्व की मजबूत और डिजिटल मदद से लोन लेन-देन की बेहतर स्थिति से भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी विकास की गति को कायम रखने में पूरी तरह से सक्षम है।

महंगाई के दबाव को किया जा रहा कम

रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी मांग में तेजी बरकरार है और ग्रामीण क्षेत्र में कृषि व गैर कृषि, दोनों ही प्रकार से मजदूरी की दर बढ़ने से ग्रामीण मांग भी बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है। रबी व खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य और गन्ने के उचित व लाभकारी मूल्य में बढ़ोतरी, किसानों को लोन मिलने में आसानी और मानसून के सामान्य रहने की संभावना से ग्रामीण क्षेत्र की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी जिससे ग्रामीण मांग बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अनाज का पर्याप्त स्टाक है और भू-राजनीतिक वजहों से होने वाले महंगाई के दबाव को कम करने के उपाय लगातार किए जा रहे हैं।

2.6 करोड़ टन गेहूं की हो चुकी है खरीदारी 

वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस साल 21 जून तक बफर के लिए 2.6 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जिससे 21.3 लाख किसानों को लाभ मिला है। फिलहाल सेंट्रल पुल में चावल व गेहूं का स्टॉक 7.3 टन तक पहुंच गया है जो अनाज की घरेलू जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीज व खाद की पूरी उपलब्धता एवं जलाशय में पानी के पर्याप्त स्टाक से अल-नीनो का असर होने के बावजूद खरीफ की बुवाई में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

राजकोषीय घाटा को कम होने की उम्मीद

राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के साथ विभिन्न प्रकार के अतिरिक्त खर्च में कटौती से सरकार वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती है। वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.7 प्रतिशत था जो गत वित्त वर्ष 2022-23 में 6.4 प्रतिशत रहा। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।