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दूसरी छमाही में 4.5-5 फीसद रहेगी विकास दर

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में देश की विकास दर 4.5-5 फीसद रह सकती है। उद्योग संगठन सीआइआइ की ओर से कंपनियों के सीईओ के बीच कराए गए ताजा सर्वे के आधार पर तैयार रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संगठन ने दूसरी छमाही में विकास दर में तेजी की संभावना से इन्कार किया है। वित्त वर्ष की पहली छमाही म

By Edited By: Updated: Mon, 03 Feb 2014 05:05 AM (IST)

नई दिल्ली। चालू वित्ता वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में देश की विकास दर 4.5-5 फीसद रह सकती है। उद्योग संगठन सीआइआइ की ओर से कंपनियों के सीईओ के बीच कराए गए ताजा सर्वे के आधार पर तैयार रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संगठन ने दूसरी छमाही में विकास दर में तेजी की संभावना से इन्कार किया है। वित्ता वर्ष की पहली छमाही में देश की अर्थव्यवस्था 4.6 फीसद की दर से बढ़ी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में विकास दर 5-5.5 फीसद के दायरे में रहने की बात कहने वाले लोगों का अनुपात तीसरी तिमाही के 13 फीसद के मुकाबले चौथी तिमाही में 29 फीसद दर्ज किया गया। इसका स्पष्ट मतलब है कि अर्थव्यवस्था ने पिछली तिमाही में निचला स्तर छू लिया है और अब यह विकास के रास्ते पर है। हालांकि इसकी अनिश्चितता अभी बरकरार है। सर्वे में कंपनियों के प्रमुखों ने राजनीतिक अनिश्चितता को सबसे बड़ी चिंता माना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबित परियोजनाओं की मंजूरी में तेजी लाने के लिए सरकार को फास्ट ट्रैक परियोजनाओं की प्रारंभिक सीमा मौजूदा 1000 करोड़ रुपये से घटाकर आधी करनी चाहिए। सीआइआइ के चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि ऊंची खाद्य महंगाई, विकास को लेकर जारी अनिश्चितता और कर्ज की लागत बढ़ने से उपभोक्ता मांग प्रभावित हुई है। महंगाई में कुछ नरमी आने से अब समय आ गया है कि मौद्रिक नीति का झुकाव विकास को बढ़ावा देने की ओर हो। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा तिमाही में निर्यात में धीमी गति से विकास होता रहेगा। अप्रैल-दिसंबर अवधि में देश का निर्यात 230.3 अरब डॉलर, आयात 340.3 अरब डॉलर और व्यापार घाटा 110 अरब डॉलर रहा।