चुनावी नतीजों पर रेटिंग एजेंसी ने दी प्रतिक्रिया, Fitch ने कहा - BJP को मिले कमजोर बहुमत के बाद खड़ी हो सकती हैं कई चुनौतियां
Fitch India Rating 4 जून को पूरी दुनिया की नजर भारत के चुनावी नतीजों पर थी। इलेक्शन के रिजल्ट के बाद रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने प्रतिक्रिया दी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भाजपा अपना पूर्ण बहुमत खो रही है और सरकार बनाने के लिए सहयोगियों पर निर्भर है। ऐसे में नई सरकार के सामने कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पीटीआई, नई दिल्ली। 4 जून को पूरी दुनिया की नजर भारत के चुनावी नतीजों पर थी। इलेक्शन के रिजल्ट के बाद रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने प्रतिक्रिया दी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भाजपा अपना पूर्ण बहुमत खो रही है और सरकार बनाने के लिए सहयोगियों पर निर्भर है। ऐसे में नई सरकार के सामने कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं चुनावी नतीजे
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने 2014 के बाद पहली बार 543 सीटों वाली लोकसभा में 240 सीटें जीतकर अपना बहुमत खो दिया। वह अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में छोटे दलों के साथ सरकार बनाने की योजना बना रहा है, जिसने अन्य 52 सीटें जीतीं, जिससे गठबंधन को 292 सीटों का बहुमत मिला।
रेंटिंग एजेंसी ने दी प्रतिक्रिया
फिच ने चुनावी नतीजों को लेकर कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के अगली सरकार बनाने की संभावना है। जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए लौटाएगा। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी (BJP) को कमजोर बहुमत के साथ जो सरकार के सुधार एजेंडे के अधिक महत्वाकांक्षी तत्वों के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है।
रेटिंग फर्म ने कहा कि भाजपा स्पष्ट बहुमत से पीछे रह गई और उसे अपने गठबंधन सहयोगियों पर अधिक भरोसा करने की आवश्यकता होगी। ऐसे में नई सरकार के सामने भूमि और श्रम से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हाल ही में भाजपा ने भारत के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिकताओं के रूप में चिह्नित किया है।
हालाँकि फिच को उम्मीद है कि कम बहुमत के बावजूद नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी। उसे उम्मीद थी कि सरकार पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने, व्यापार करने में आसानी के उपायों और क्रमिक राजकोषीय समेकन पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगी।
रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि भारत का मजबूत मध्यम अवधि का विकास परिदृश्य बरकरार रहेगा, जो सरकारी पूंजीगत व्यय ड्राइव और बेहतर कॉर्पोरेट और बैंक बैलेंस शीट पर आधारित है। लेकिन अगर सुधारों को आगे बढ़ाना अधिक चुनौतीपूर्ण साबित होता है, तो मध्यम अवधि के विकास की संभावनाएं अधिक मामूली होने की संभावना है।