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FMCG क्षेत्र को बढ़ावा देगा चुनावी वर्ष, आने वाले दिनों में हो सकती है किसानों की मदद वाली योजनाओं की घोषणा

इस वर्ष नौ राज्यों में चुनाव होने हैं। साथ ही अगले वर्ष लोकसभा चुनाव। राजनीति के लिहाज से यह वर्ष जितना रोचक होने वाला है उतना ही उत्साहवर्धक एफएमसीजी क्षेत्र के लिए भी होगा। चुनावी वर्ष में सरकारें ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान देती हैं। फाइल फोटो।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 21 Jan 2023 12:17 AM (IST)
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FMCG क्षेत्र को बढ़ावा देगा चुनावी वर्ष। फाइल फोटो।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस वर्ष नौ राज्यों में चुनाव होने हैं। साथ ही अगले वर्ष लोकसभा चुनाव। राजनीति के लिहाज से यह वर्ष जितना रोचक होने वाला है, उतना ही उत्साहवर्धक एफएमसीजी क्षेत्र के लिए भी होगा। चुनावी वर्ष में सरकारें ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान देती हैं। इससे ग्रामीण मांग व खपत भी बढ़ती है। इसका सीधा फायदा एफएमसीजी कंपनियों को मिलता है। भारत में काम करने वाली एफएमसीजी कंपनियों की कुल बिक्री में ग्रामीण क्षेत्र की करीब 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

अक्टूबर-दिसंबर 2022 के दौरान ग्रामीण मांग में आई कमी

वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2022) के दौरान ग्रामीण मांग में कमी आई है, लेकिन चुनावी वर्ष होने की वजह से केंद्र से लेकर राज्य सरकार की तरफ से ग्रामीण इन्फ्रा और किसानों को मदद वाली योजनाओं की घोषणा होने की संभावना है। प्रभुदास लीलाधर रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2003-04 से लेकर 2018-19 में चुनाव से पहले वाले वर्ष में ग्रामीण मांग में तेजी रही है और इसका फायदा एफएमसीजी व छोटी वाहन कंपनियों को मिला है।

600 अरब रुपये के कृषि लोन हुए माफ

साल 2018 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को एक वर्ष में तीन किस्तों में 6,000 रुपये देने की घोषणा की गई। इसका असर यह हुआ है कि एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही, जो पिछले दो साल से एक अंक में थी। वित्त वर्ष 2008-09 के लिए वर्ष 2008 के बजट में मनरेगा की मद में 31 अरब रुपये का आवंटन किया गया, जो उससे पूर्व के बजट आवंटन से 87 प्रतिशत अधिक था। इसके अलावा छोटे व सीमांत किसानों के 600 अरब रुपये के कृषि लोन माफ किए गए। उस वर्ष फसल भी अच्छी रही। इन सबका नतीजा यह हुआ कि एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री में 29.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।

साल 2013-14 में 10.2 प्रतिशत रही एफएमसीजी कंपनियों की बढ़ोतरी दर

वित्त वर्ष 2013-14 में भी चुनाव की वजह से ही एफएमसीजी कंपनियों की बढ़ोतरी दर 10.2 प्रतिशत रही, जबकि उस दौरान महंगाई दहाई अंक में चल रही थी और कच्चे तेल का मूल्य 100 डालर प्रति बैरल के पार चला गया था। वित्त वर्ष 2003-04 भी चुनावी वर्ष था और और इस दौरान भी एफएमसीजी क्षेत्र में 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी, जबकि उससे पहले के वर्ष में कंपनियों के राजस्व में गिरावट दर्ज की गई थी।

दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी वृद्धि संभव

प्रभुदास लीलाधर की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2004, 2009 और 2014 में प्रवेश स्तर के दोपहिया वाहनों की बिक्री में उछाल आया था। लेकिन 2019 से पहले तीन वर्षों से दोपहिया वाहनों की बिक्री में भारी तेजी चल रही थी, इसलिए उस वर्ष ऐसा नहीं हो सका।बिक्री में ग्रामीण हिस्सेदारीकंपनी हिस्सेदारीइमामी 50 प्रतिशत से अधिकडाबर 40-45 प्रतिशतएचयूएल 35-40 प्रतिशतमैरिको 30-35 प्रतिशतब्रिटानिया 30 प्रतिशतनेस्ले इंडिया 20-25 प्रतिशतस्त्रोत: प्रभुदास लीलाधर।

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