Electoral Bonds: फार्मा व इंफ्रा से जुड़ी कंपनियां चुनावी बॉन्ड खरीदने में रही आगे, भाजपा के साथ कांग्रेस व अन्य दलों को भी चंदा
सिप्ला ने चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा को 30 करोड़ रुपये दिए तो कांग्रेस को 2.2 करोड़ रुपये दिए। जायडस हेल्थकेयर ने भाजपा को 18 करोड़ रुपये तो कांग्रेस को तीन करोड़ दिए। ग्लेनमार्क फार्मा ने 5.75 करोड़ भाजपा को तो चार करोड़ कांग्रेस को दिए। टोरेंट फार्मा ने भाजपा को 32 करोड़ तो आम आदमी पार्टी को पांच करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड खरीदने में फार्मा व इंफ्रा से जुड़ी कंपनियों ने अग्रणी भूमिका निभाई। फार्मा कंपनियों से लेकर इंफ्रा व रियल एस्टेट की कई कंपनियों से किसी एक पार्टी को चुनावी पार्टी के माध्यम से चंदा नहीं दिया। रेड्डी लेबोरेटोरिज ने भाजपा, कांग्रेस समेत कई अन्य दलों को चुनावी बॉन्ड से चंदा किए। डा. रेड्डी ने भाजपा को 27 करोड़ कांग्रेस को 14 करोड़ रुपये तो टीडीपी को 13 करोड़ रुपये दिए।
सिप्ला ने भाजपा को दिए 30 करोड़
सिप्ला ने चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा को 30 करोड़ रुपये दिए तो कांग्रेस को 2.2 करोड़ रुपए दिए। जायडस हेल्थकेयर ने भाजपा को 18 करोड़ रुपये तो कांग्रेस को तीन करोड़ दिए। ग्लेनमार्क फार्मा ने 5.75 करोड़ भाजपा को तो चार करोड़ कांग्रेस को दिए। टोरेंट फार्मा ने भाजपा को 32 करोड़ तो आम आदमी पार्टी को पांच करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दिए। डिवी लैब ने भाजपा को 30 करोड़ तो कांग्रेस को पांच करोड़ दिए। सन फार्मा ने भाजपा को 24 करोड़ तो कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस को एक-एक करोड़ दिए।
अरबिंदो फार्मा ने भाजपा को 34.5 करोड़ दिए
अरबिंदो फार्मा ने भाजपा को 34.5 करोड़ तो कांग्रेस को 6.4 करोड़ चुनावी बॉन्ड से दिए। हेट्रो लैब्स ने भाजपा के साथ बीआरएस को चंदा दिए तो अजंता फार्मा भाजपा के साथ एनसीपी को चंदा दिए। अधिकतर फार्मा कंपनियों ने कम से कम दो पार्टियों को चंदा दिए। वैसे ही, टोरेंट, वेल्सपन, जिंदल पावर व स्टील, वेदांता, वेस्टर्न यूपी पावर जैसी कंपनियों ने सिर्फ एक पार्टी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा नहीं दिया।इन कंपनियों ने भाजपा के साथ कांग्रेस को भी चंदा दिए। जानकारों के मुताबिक बड़ी कंपनियां सत्ताधारी दल का अधिक ध्यान रखते हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियों की अनदेखी भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका रहती है कि कोई छोटा दल भी अगर उनके कारोबार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन पर उतर आएगा तो उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है।ये भी पढ़ें- RBI के सरकारी कामकाज वाले सभी दफ्तर 30 और 31 मार्च को छुट्टी के दिन भी खुलेंगे, यहां जानें वजह