Ukraine War: यूक्रेन युद्ध से संकट में ईवी बैट्री उद्योग; चार गुना बढ़ी कच्चे माल की कीमतें, दुनियाभर के आटोमोबाइल उद्योगों पर पड़ रही तगड़ी मार
रूस यूक्रेन युद्ध का असर तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इसके असर से कोई सेक्टर अछूता नहीं है। अब आटोमोबाइल उद्योग को भी इसके असर की मार झेलनी पड़ रही है। मौजूदा वक्त में ईवी बैट्री उद्योग की हालत बेहद खराब है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 19 Jun 2022 07:51 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध की मार दुनियाभर के आटोमोबाइल उद्योग को भी झेलनी पड़ रही है। अगले कुछ महीनों में इलेक्ट्रिक वाहन उतारने की तैयारियां कर रही कंपनियों को सबसे ज्यादा मुश्किल आ रही है। वजह यह है कि युद्ध की वजह से बैट्री बनाने के लिए जरूरी महंगे धातुओं जैसे लीथियम, रोडियम, कोबाल्ट, प्लेटेनियम की कीमतें बढ़ गई हैं और इनकी उपलब्धता भी मुश्किल हो रही है। आटोमोबाइल उद्योग के जानकारों का कहना है कि अगर हालात जल्दी से सामान्य नहीं होते हैं तो इलेक्ट्रिक कारों को लोकप्रिय बनाने की योजना पर असर पड़ सकता है।
बैट्री की कीमतों से निर्धारित होती हैं ईवी की कीमतें साथ ही ईवी की कीमतों को कम करने की कोशिशों को भी धक्का लगेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कीमतें बहुत हद तक बैट्री की कीमतों से निर्धारित होती हैं। बैट्री में इस्तेमाल होने वाले धातुओं की कीमतें पिछले तीन महीनों में चार गुना तक बढ़ गई हैं। इनमें से कुछ धातुओं का सबसे बड़ा उत्पादक रूस है जिस पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने से आपूर्ति प्रभावित हुई है। जबकि दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया में मिलने वाले दूसरे कच्चे माल की आवाजाही वैश्विक अस्थिरता की वजह से प्रभावित हो रही है।
कच्चे माल की आपूर्ति में मुश्किल भारत की प्रमुख कार कंपनी किआ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट व प्रमुख (मार्केटिंग व सेल्स) हरदीप सिंह बरार का कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्री निर्माण की पूरी श्रृंखला ही प्रभावित हो रही है। बैट्री के लिए कच्चे माल की आपूर्ति मुश्किल हो रही है।
बैट्री की उपलब्धता बड़ा फैक्टर
हुंडई मोटर इंडिया के डायरेक्टर (सेल्स व मार्केटिंग) तरूण गर्ग ने बताया कि ईवी का पूरा भविष्य बैट्री की उपलब्धता और इसकी कीमत से तय होगा। अभी बैट्री की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, लेकिन मेरा मानना है कि लंबी अवधि में ये कीमतें नीचे आएंगी। उनका कहना है कि तकनीकी पर जिस तरह से कई कंपनियां काम कर रही हैं, उससे भी असर पड़ेगा।2026 तक बढ़ती रहेगी बैट्रियों की कीमत
अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो ई-सोर्स नाम की एक एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैट्रियों की कीमतें वर्ष 2026 तक बढ़ती रहेंगी। सिर्फ अगले एक वर्ष में इनकी कीमतों 22 प्रतिशत की वृद्धि संभावित है। जबकि पिछले पांच वर्षों के दौरान इनकी कीमतों में लगातार गिरावट का रूख था। रिपोर्ट के मुताबिक, बैट्री महंगी होने से वैश्विक स्तर पर ईवी की कीमतें भी औसतन एक से तीन हजार डालर (लगभग 77,000 रुपये से 2.31 लाख रुपये) तक महंगी हो जाएंगी।
देश में लगातार बढ़ रही ईवी की मांगदेश में ईवी की मांग लगातार बढ़ रही है। एक आकलन के मुताबिक, वर्ष 2022 में भारत में बिकने वाली 35 लाख पैसेंजर कारों में से 70 हजार (दो प्रतिशत) ईवी होंगी, जबकि वर्ष 2030 में देश में 55 लाख कारें बिकेंगी और इनमें से 30 प्रतिशत ईवी होंगी। हुंडई के गर्ग ने बताया कि कंपनी 2028 तक छह ईवी भारतीय बाजार में लांच करेगी और इस पर 4,000 करोड़ रुपये का नया निवेश होगा। किआ इंडिया के बरार ने बताया कि कंपनी वर्ष 2025 में भारत के लिए भारत में निर्मित ईवी लांच करने की मंशा रखती है। वैश्विक स्तर पर किआ वर्ष 2027 तक 14 ईवी लांच करेगी, इसमें से कुछ कारें भारत में भी लांच की जाएंगी।