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कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग 37.1 प्रतिशत पर पहुंचा, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2009-10 में कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग 28.75 प्रतिशत था जो 2019-20 में घटकर 60.61 प्रतिशत और अब बढ़कर 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसे नई फसल किस्मों के लिए अधिक सिचाई की मांग और क्षेत्र को सब्सिडी पर दी जाने वाली बिजली से बल मिल रहा है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Thu, 25 Jan 2024 07:08 PM (IST)
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कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग 37.1 प्रतिशत
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत में कृषि क्षेत्र में बिजली के रूप में प्रत्यक्ष ऊर्जा उपयोग की हिस्सेदारी 2019-20 में बढ़कर 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि 2009-10 में यह 28.75 प्रतिशत थी। 'द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट' (टेरी) के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत बढ़ रही है।

इसे नई फसल किस्मों के लिए अधिक सिचाई की मांग और क्षेत्र को सब्सिडी पर दी जाने वाली बिजली से बल मिल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कृषि में प्रत्यक्ष ऊर्जा (बिजली और ईंधन) के साथ अप्रत्यक्ष ऊर्जा (नाइट्रोजन और फास्फोरस उर्वरक, और कीटनाशक) के उपयोग में वृद्धि हुई है। उर्वरक के रूप में ऊर्जा के अप्रत्यक्ष उपयोग का योगदान 2009-10 में 68.4 प्रतिशत था लेकिन 2019-20 में यह घटकर 60.61 प्रतिशत रह गया।

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जलवायु परिवर्तन से कृषि अर्थव्यवस्था का नुकसान

वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र ने भारत में सकल मूल्यव‌र्द्धन में 18.6 प्रतिशत का योगदान दिया। इसके साथ ही इसने देश के लगभग 45.5 प्रतिशत कार्यबल को आजीविका और रोजगार दिया। टेरी के मुताबिक, भारतीय कृषि के संवेदनशीलता आकलन के आधार पर कुल ग्रामीण जिलों में से 19 प्रतिशत (573 ग्रामीण जिले) को 'बहुत उच्च जोखिम' वाले जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इसके अलावा भारतीय कृषि में जलवायु परिवर्तन की वजह से हर साल कृषि अर्थव्यवस्था का लगभग 4.9 प्रतिशत नुकसान होने का अनुमान है। इसकी वजह से कुल मिलाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.5 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

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