बेहतर मानसून से बिजली सेक्टर में बदला माहौल, पिछले 15 महीनों में घटी मांग
देश के अधिकांश हिस्सों में बेहतर मानसून की वजह से मौसम काफी बदल गया है जिसने बिजली की मांग को कम करने में मदद की है। अगस्त 2023 में बिजली की मांग 2.38 लाख मेगावाट रही थी जिससे यह साफ होता है कि बिजली की मांग इस साल अप्रत्याशित तौर पर कम रही है। मानसून की वजह से देश के कुछ कोयला खदानों में कोयला खनन का काम प्रभावित हुआ।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिजली की मांग और आपूर्ति को लेकर सारे अनुमानों पर मानसून ने पानी फेर दिया है। जुलाई 2024 में जब बिजली की मांग 2.50 लाख मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी तब ऐसा लगा था कि इस साल बिजली की मांग को पूरा करने में सरकार के पसीने छूट जाएंगे। लेकिन ताजे आंकड़े बताते हैं कि अगस्त माह में बिजली की मांग (किसी एक समय में उच्चतम पीक ऑवर मांग) 2.17 लाख मेगावाट रही है जो पिछले 15 महीनों से सबसे कम मांग है।
बिजली मांग में आई कमी
देश के अधिकांश हिस्सों में बेहतर मानसून की वजह से मौसम काफी बदल गया है जिसने बिजली की मांग को कम करने में मदद की है। अगस्त 2023 में बिजली की मांग 2.38 लाख मेगावाट रही थी जिससे यह साफ होता है कि बिजली की मांग इस साल अप्रत्याशित तौर पर कम रही है। मानसून की वजह से देश के कुछ कोयला खदानों में कोयला खनन का काम प्रभावित हुआ है लेकिन कोयला मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि अगले कुछ महीनों तक अभी कोयले की कमी से बिजली प्रभावित होने की संभावना नहीं है।
क्रिसिल की तरफ से जारी रिपोर्ट बताती है कि अगस्त, 2024 में सामान्य से 7 फीसद ज्यादा बारिश हुई है। लेकिन इस महीने बिजली की मांग अगस्त, 2023 के मुकाबले 5.3 फीसद कम हुई है। जबकि इसके पिछले महीने जुलाई में बिजली की मांग में 6.7 फीसद बढ़ी है। जुलाई में एक समय पीक आवर मांग पहली बार 2.50 लाख मेगावाट से ज्यादा रही थी। तब मानसून के दौरान देश में वर्ष 2021 जैसा ही बिजली की समस्या पैदा होने की संभावना जताई गई थी।
बाजार में दिख रहा फर्क
यह भी ध्यान रहे कि जुलाई माह में देश में बिजली उत्पादन में 7.9 फीसद (जुलाई, 2023 के मुकाबले) की वृद्धि दर्ज की गई है। इस तरह से मांग घटी है जबकि आपूर्ति की स्थिति पहले से मजबूत बनी हुई है। इसका असर बिजली बाजार पर भी साफ दिखाई दे रहा है। पावर एक्सचेंज में बिजली की औसत कीमत 3.3 रुपये प्रति यूनिट दर्ज की गई है जबकि जुलाई, 2023 में यह कीमत 6 रुपये प्रति यूनिट थी।क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि जिन राज्यों में बारिश ज्यादा हुई है वहां बिजली की मांग में ज्यादा कमी देखी गई है। मसलन, मध्य प्रदेश में बिजली की मांग 13 फीसद तो राजस्थान में 25 फीसद तक की गिरावट रही है। बिहार में इस महीने ज्यादा बारिश नहीं हुई है तो वहां मांग में सिर्फ दो फीसद की ही गिरावट दर्ज की गई है।
यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्यों में अभी भी बिजली की कटौती देखी जा रही है तो बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है यह पूरी तरह से राज्य के बिजली प्रबंधन की वजह से हो रहा है। अभी पूरे देश में चौबीसों घंटे आपूर्ति लायक पर्याप्त बिजली है। कुछ राज्य सरकारें वित्तीय वजहों से बाजार से बिजली नहीं खरीद रही और बिजली कटौती करके अपने खर्चे को कम कर रही हैं।