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इस सीजन लगभग 35 लाख शादियों का अनुमान, 4.25 लाख करोड़ के करीब कारोबार करेंगे व्यापारी

स वर्ष 23 नवंबर देव उठान एकादशी से शादियों का सीजन शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगा।एक अनुमान के अनुसार किए इस अवधि के दौरान देश भर में लगभग 35 लाख शादियाँ संपन्न होंगी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार अकेले दिल्ली में इस सीजन में 3.5 लाख से अधिक शादियां होने की उम्मीद है।

By Jagran NewsEdited By: Rammohan MishraUpdated: Tue, 17 Oct 2023 04:57 PM (IST)
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इस सीजन लगभग 35 लाख शादियों का अनुमान है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। इस वर्ष 23 नवंबर, देव उठान एकादशी से शादियों का सीजन शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगा।एक अनुमान के अनुसार किए इस अवधि के दौरान देश भर में लगभग 35 लाख शादियाँ संपन्न होंगी, जिसमें शादी की खरीदारी और शादी से संबंधित अनेक प्रकार की सर्विस के जरिए सेवाएं लगभग 4.25 लाख करोड़ रुपये का बड़ा खर्च इस सीजन में होने की संभावना है ।

केवल दिल्ली में होंगी 3.5 लाख से अधिक शादियां

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार अकेले दिल्ली में इस सीजन में 3.5 लाख से अधिक शादियां होने की उम्मीद है, जिससे दिल्ली में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है। पिछले साल इसी अवधि में करीब 32 लाख शादियां हुई और खर्च 3.75 लाख करोड़ रुपये आंका गया था।

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कैट की आध्यात्मिक एवं वैदिक ज्ञान समिति के अध्यक्ष एवं प्रख्यात वैदिक विद्वान आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि नक्षत्रों की गणना के अनुसार नवंबर में विवाह की तिथियां 23,24,27,28,29 हैं, जबकि दिसंबर माह में 3,4,7,8,9 और 15 तारीखें विवाह के लिए शुभ दिन हैं। उसके बाद, तारा एक महीने के लिए मध्य जनवरी तक डूब जाता है और फिर मध्य जनवरी से शुभ दिन शुरू हो जाएंगे।

देश भर के व्यापारी कर रहे तैयारी  

अनुमान है कि कुल मिलाकर इस एक महीने में शादी के सीजन में बाजारों में शादी की खरीदारी से करीब 4.25 लाख करोड़ रुपये का प्रवाह होगा। शादी के सीजन का अगला चरण जनवरी के मध्य से शुरू होगा और जुलाई तक जारी रहेगा। शादी के सीजन में कारोबार की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए देशभर के व्यापारियों ने व्यापक तैयारियां की हैं।

शादी के सीजन से पहले घरों की मरम्मत और घरों की रंगाई-पुताई का कारोबार बड़ी मात्रा में होता है। इसके अलावा आभूषण, साड़ी, लहंगा-चून्नी, फर्नीचर और रेडीमेड कपड़ों आदि का कारोबार होता है। इसके अलावा सूखे मेवे, मिठाइयां, फल, पूजा सामग्री, किराना, खाद्यान्न, सजावट का सामान, घर की सजावट का सामान, विद्युत उपयोगिता और इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग रहती है।

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