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Government survey : पान-तंबाकू पर जमकर पैसा फूंक रहे लोग, पढ़ाई पर होने वाला खर्च घटाया

सैंपल सर्वे ऑफ‍िस (NSSO) ने पिछले हफ्ते हाउसहोल्ड कंजप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे 2022-23 का डेटा जारी किया था। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के खर्च करने के पैटर्न के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। पिछले एक दशक के दौरान देश में पान तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की खपत बढ़ी है। लोग अपनी आय का बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों पर खर्च कर रहे हैं।

By Suneel KumarEdited By: Suneel KumarUpdated: Sun, 03 Mar 2024 02:22 PM (IST)
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पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड को भी अब ज्यादा पसंद कर रहे हैं लोग।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक दशक के दौरान देश में पान, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों की खपत बढ़ी है। बहुत से लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों पर खर्च कर रहे हैं। यह जानकारी हाउसहोल्ड कंजप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे 2022-23 से मिली है, जिसके डेटा को नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ‍िस (NSSO) ने पिछले हफ्ते जारी किया गया था।

दिलचस्प बात यह है कि नशीले उत्पादों पर खर्च ग्रामीण और शहरी, दोनों इलाकों में बढ़ा है। सर्वे के आकंड़े बताते हैं कि 2011-12 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नशे पर 3.21 फीसदी खर्च करते थे, जो 2022-23 में बढ़कर 3.79 फीसदी हो गया।

वहीं, शहरी इलाके की बात करें, तो 2011-12 में वहां लोग पान-तंबाकू और दूसरे नशीले पदार्थों पर 1.61 फीसदी खर्च करते थे। यह 2022-23 में बढ़कर 2.43 फीसदी हो गया।

गौर करने की बात यह है कि इसी दौरान शहरी क्षेत्रों में शिक्षा पर खर्च का अनुपात 6.9 फीसदी से घटकर 5.78 फीसदी हो गया। यही ट्रेंड ग्रामीण इलाकों में भी दिखा। यहां खर्च का अनुपात 3.49 प्रतिशत से कम होकर 3.3 प्रतिशत पर आ गया।

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इस सर्वे से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के खानपान में बदलाव की भी झलक मिलती है। खासकर लोग पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

शहरी क्षेत्रों में पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड पर खर्च 2011-12 में 8.98 प्रतिशत था, जो 2022-23 में बढ़कर 10.64 प्रतिशत हो गया है। ग्रामीण इलाकों में भी लोगों ने इन चीजों पर खर्च बढ़ाया और 7.90 प्रतिशत से बढ़कर 9.62 प्रतिशत हो गया।

क्यों होता है इस तरह का सर्वे?

Ministry of Statistics and Programme Implementation के अंतर्गत आने वाला यह NSSO सर्वे हर साल करता है। इसका मकसद यह पता लगाना होता है कि आम आदमी के खर्च में किस तरह से बदलाव हो रहा है। अलग-अलग राज्यों और शहरों में लोगों के खर्च करने का पैटर्न क्या है। सरकार को इस सर्वे के आधार पर अपनी योजनाएं बनाने में भी मदद मिलती है।