IREDA, REC और PFC के शेयर धड़ाम, RBI का यह फैसला बना भारी गिरावट की वजह
इरेडा (IREDA) REC लिमिटेड और PFC जैसी कंपनियों के शेयरों में सोमवार को बाजार खुलते ही भारी गिरावट दिखी। कुछ के शेयर तो शुरुआती कारोबार में 12 प्रतिशत तक गए। एक हफ्ते पहले ही ये शेयर अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचे थे। ऐसे में इनमें भारी गिरावट आने से निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। उनके लाखों रुपये डूब गए। आइए जानते हैं कि इस गिरावट की वजह क्या है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Share Market News: इरेडा (IREDA), REC लिमिटेड और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) जैसी कंपनियों के शेयरों में सोमवार को बाजार खुलते ही भारी गिरावट दिखी। कुछ के शेयर तो शुरुआती कारोबार में 12 प्रतिशत तक गए। एक हफ्ते पहले ही ये शेयर अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचे थे। ऐसे में इनमें भारी गिरावट आने से निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। उनके लाखों रुपये डूब गए।
शुरुआती कारोबार में कितना गिरे शेयर
PFC | 12% |
REC | 8% |
IREDA | 8% |
RBI की प्रस्तावित गाइडलाइंस का असर
दरअसल, रिजर्व बैंक (RBI) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को दिए जाने वाले लोन की गारंटी को लेकर चिंतित है। यही वजह है कि बैंकिंग रेगुलेटर ने कर्ज उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को प्रस्ताव दिया है कि वे निर्माणाधीन इंफ्रा प्रोजेक्ट के लिए अधिक प्रोविजनिंग को अलग रखें। साथ ही, अगर उन्हें प्रोजेक्ट में कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो वे उसकी सख्त निगरानी करें।
भारतीय बैंकों ने 2012-13 के दौरान बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लोन दिया था, जिसमें से बहुत से डिफॉल्ट कर गए। एक बार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर तेजी पकड़ रहा है, क्योंकि सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। यही वजह है कि आरबीआई ने ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट की निगरानी सख्त करने का प्रस्ताव है।
क्या है रिजर्व बैंक का प्रस्ताव?
रिजर्व बैंक ने प्रस्ताव दिया है कि जब इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट निर्माण चरण में हो, तो बैंक कुल लोन का 5 फीसदी अलग रखें, बतौर प्रोविजिनिंग। जब प्रोजेक्ट शुरू हो जाए, तो इसे कम करके 2.5 फीसदी तक कम किया जा सकता है। अगर सबकुछ ठीक रहता है और लोन की किस्तें समय से मिलने लगती हैं, तो बैंक के पास पर्याप्त नकदी होने के बाद इसे घटाकर 1 प्रतिशत तक किया जा सकता है। पहले यह प्रोविजनिंग सिर्फ 0.4 प्रतिशत तक थी।केंद्रीय बैंक ने मसौदा गाइडलाइंस में यह भी कहा है कि कर्ज देने वालों को लगातार प्रोजेक्ट की निगरानी करनी चाहिए, ताकि किसी गड़बड़ी की सूरत में समय रहते कदम उठाने की गुंजाइश रहे। आरबीआई ने नियमों को अंतिम रूप देने से पहले 15 जून तक अपने प्रस्तावों पर टिप्पणियां मांगी हैं।