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Explained: पिछले दस साल में तेजी से बढ़ा है भारत का Forex Reserve, देश की अर्थव्यवस्था पर कैसा रहा इसका असर

Foreign Exchange Reserves Explained भारत में पिछले दस साल में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त देखने को मिली है। यह एक महत्वपूर्ण घटक है जो देश की अर्थव्यवस्था पर असर डालता है। तो चलिए समझते हैं इसके बढ़ने और घटने से होने वाला असर। (फाइल फोटो)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghUpdated: Tue, 21 Mar 2023 04:00 PM (IST)
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Foreign Exchange Reserves Explained, See Impact on Country's Economy
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Foreign Exchange Reserves: रिजर्व बैंक ने अपने नवीनतम साप्ताहिक आंकड़ों में कहा है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 10 मार्च को सप्ताह के अंत में 2.39 अरब डॉलर से घटकर तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस तरह अब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 560.003 अरब डॉलर रह गया।

हालांकि, पिछले दस साल में यह आंकड़ा औसतन हर साल बढ़ा है। ऐसे मे सवाल है कि देश की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर दिखने वाला है और क्या इससे आम आदमी के रोजमर्रा के कामों पर भी असर पड़ेगा?

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने या घटने के प्रभावों को जानने से पहले इस बात को जानना जरूरी है कि ये है क्या। विदेशी मुद्रा भंडार को forex reserves या foreign exchange reserves के नाम से जाना जाता है। विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा भंडार अनिवार्य रूप से रिजर्व के रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई संपत्ति है। आसान भाषा में कहें तो विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई वे संपत्तियां या धनराशि होती हैं, जिसका इस्तेमाल कई तरह की देनदारी को पूरा करने या पॉलिसी को लागू करने के लिए किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली में मुद्रा के महत्व को देखते हुए अधिकांश भंडार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में रखे जाते हैं। इसके अलावा, ब्रिटिश पाउंड, यूरो, चीनी युआन या जापानी येन का भंडार भी किया जाता है।

Forex Reserves के बढ़ने या घटने का असर

विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने या घटने का असर सबसे पहले किसी भी देश के केंद्रीय बैंक पर होता है। भारत में यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है। सभी अंतरराष्ट्रीय लेन-देन अमेरिकी डॉलर में तय किए जाते हैं और किसी भी देश के पास जितनी अधिक विदेशी मुद्रा होगी, उसे मौद्रिक नीति में सख्ती बरतने या घरेलू मुद्रा का समर्थन करने में उतनी आसानी होगी।

भारत के लिए इसके बढ़ने का मतलब है कि विदेशी पूंजी प्रवाह में अचानक व्यवधान के कारण होने वाली किसी भी तरह की क्राइसिस को बहुत जल्द कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, किसी संकट के दौरान देश के महत्वपूर्ण आयात का समर्थन करने मदद मिलेगी।

देश की अर्थव्यवस्था पर असर

विदेशी मुद्रा भंडार का अप्रत्यक्ष रूप से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में इजाफा करता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है और देश में रोजगार के नए अवसर को जन्म देता है। यह विदेशी मुद्रा संपत्तियों को उच्चतम क्रेडिट रेटिंग देता है और बिना किसी क्रेडिट जोखिम वाले अंतरराष्ट्रीय उपकरणों में निवेश को बढ़ावा देता है।