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Explained: आरबीआई ने आपकी EMI घटाने का क्यों नहीं किया इंतजाम, तीन कारण में समझिए पूरी बात

RBI MPC Meeting 2024 Announcements अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने हाल ही में अपनी नीतिगत ब्याज दरों में आधा फीसदी की कमी की थी। इससे अनुमान लगाया जा रहा था कि आरबीआई भी रेपो रेट में कमी करके आम जनता को राहत दे सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक ने लगातार 10वीं बार नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। आइए जानते हैं इस फैसले की वजह।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Wed, 09 Oct 2024 12:07 PM (IST)
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इराजयल और ईरान संघर्ष से क्रूड की कीमतें में भारी उछाल आया है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट यानी नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, एक्सपर्ट पहले ही अनुमान जता रहे थे कि इस बार ब्याज दरों में आरबीआई कोई राहत नहीं देगा। इसका मतलब है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की अगली बैठक तक ब्याज दरें 6.5 फीसदी पर बरकरार रहेंगी। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट (Why RBI not decreasing EMI) में बदलाव क्यों नहीं किया।

महंगाई घटाने पर जोर

इस वक्त आरबीआई का सारा जोर महंगाई घटाने पर है। खासकर, खाद्य मुद्रास्फीति पर। खुदरा महंगाई अगस्त में (Retail Inflation in August 2024) मामूली रुपये से बढ़कर 3.65 प्रतिशत रही। केंद्र सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति आरबीआई के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इनमें आलू, टमाटर और प्याज जैसी सब्जियों की बढ़ती कीमतें शामिल हैं।

इजरायल-ईरान तनाव

इराजयल और ईरान संघर्ष से क्रूड की कीमतें में भारी उछाल आया है। इससे सप्लाई चेन भी बाधित होने की आशंका है। इस स्थिति में महंगाई उफान मार सकती है। आरबीआई की नजर इस फैक्टर पर है। इसका जिक्र आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी किया। उनका कहना है कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बढ़ रही हैं, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। यह भी एक वजह है कि आरबीआई ने ब्याज दर घटाने का जोखिम नहीं लिया।

कैश फ्लो बढ़ने का खतरा

पिछले दिनों ने अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में आधा फीसदी की भारी-भरकम कटौती की। इससे अमेरिकी निवेशकों की ब्याज से कमाई हो गई है और वे ज्यादा ब्याज के लिए भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट का रुख कर सकते हैं। इस स्थिति में भारत में विदेशी कैश फ्लो तेजी से बढ़ने का अंदेशा है। अगर आरबीआई भी ब्याज दरों में कटौती कर देता, तो मार्केट में नकदी काफी बढ़ जाती। इससे महंगाई के रॉकेट बनने का भी खतरा रहता।

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