यूरोपीय संघ व ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते की वकालत कर रहे निर्यातक
Free Trade Agreement (FTA) निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय के मुताबिक भारतीय वस्तुओं को इससे विशेष फायदा नहीं होगा लेकिन सेवा क्षेत्र में लाभ उठाया जा सकता है।
By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Sun, 27 Dec 2020 07:47 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। ब्रेक्जिट-बाद के दौर में भारत को यूरोपीय संघ (ईयू) और ब्रिटेन के साथ आक्रामक तरीके से अलग-अलग मुक्त व्यापार करार (एफटीए) के लिए प्रयास करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच करार से भारत को मिलने वाले फायदों का आकलन करना अभी मुश्किल है, लेकिन इस करार से देश को अधिक लाभ होता नहीं दिख रहा है। फिर भी, देश को आइटी, आर्किटेक्चर, अनुसंधान और इंजीनियरिंग में दोनों क्षेत्रों के साथ एफटीए के बारे में सोचना चाहिए। इसकी वजह यह है कि ब्रेक्जिट करार में सेवा क्षेत्र शामिल नहीं है।
निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय के मुताबिक भारतीय वस्तुओं को इससे विशेष फायदा नहीं होगा, लेकिन सेवा क्षेत्र में लाभ उठाया जा सकता है। अब ईयू और ब्रिटेन दोनों के साथ एफटीए वार्ताओं को आगे बढ़ाने का मौका है। वियतनाम स्पर्धियों को कपड़ा और समुद्री उत्पाद क्षेत्र में बड़ा शुल्क लाभ मिल रहा है।
फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सराफ का कहना था कि भारत को अब ईयू और ब्रिटेन के साथ व्यापार वार्ता को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाना चाहिए। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आइआइएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी के मुताबिक ईयू और ब्रिटेन के बीच व्यापार करार के बाद भारत के पास दोनों बाजारों की मांग को पूरा करने का बेहतर मौका है।
ब्रेक्जिट के बाद भारत और ब्रिटेन के कारोबारी रिश्तों पर औद्योगिक संगठन सीआइआइ द्वारा हाल ही में आयोजित सत्र में वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कह था कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है। इसकी वजह है कि किसी भी एफटीए को करने में कई दृष्टिकोण पर विचार करना होता है। उन्होनें कहा था कि यह उनके लिए खुशी की बात होगी, अगर यह एफटीए अगले साल तक हो जाता है।