फटाफट लाभ के लिए F&O में खुदरा निवेशकों का आना चिंताजनक: नागेश्वरन
सीईए वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि वह तत्काल लाभ की तलाश में जोखिम भरे वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड में खुदरा निवेशकों की भागीदारी से चिंतित हैं। एक सम्मेलन में नागेश्वरन ने कहा कि टिकाऊ पूंजी निर्माण और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए सबसे बड़ा खतरा निवेशकों के नजरिये में जल्दबाजी का होना है और देश इस समय इस प्रवृत्ति की चपेट में है।
पीटीआई, मुंबईः मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि वह तत्काल लाभ की तलाश में जोखिम भरे वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड में खुदरा निवेशकों की भागीदारी से चिंतित' हैं।
बाजार नियामक सेबी और NISM की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में नागेश्वरन ने कहा कि टिकाऊ पूंजी निर्माण और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए सबसे बड़ा खतरा निवेशकों के नजरिये में जल्दबाजी का होना है और देश इस समय इस प्रवृत्ति की चपेट में है।
F&O कारोबार में शानदार वृद्धि
उन्होंने कहा कि अब भी लोग एफएंडओ कारोबार की मात्रा में शानदार वृद्धि का जिक्र कर रहे हैं जबकि खुद सेबी के अध्ययन बताते हैं कि जोखिम वाले इस खंड में 90 प्रतिशत कारोबार में निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है।नागेश्वरन ने कहा कि एफएंडओ खंड में कारोबार के पीछे त्वरित लाभ की मंशा होती है, लेकिन छोटे निवेशकों का बढ़ता जोखिम चिंता की बात है क्योंकि बार-बार तेजी और मंदी के चक्र से नहीं गुजरना चाहता है।
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जीडीपी में बढ़ोतरी
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। यह लगातार तीसरा साल होगा जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सात प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों को पर्याप्त पूंजी देने की भी आवश्यकता है और अगर बैंकों को पूंजी प्राप्त करनी है तो बैंकों के कॉर्पोरेट स्वामित्व की अनुमति देनी होगी।बैंकों के कॉर्पोरेट स्वामित्व पर चर्चा करना भी वर्जित क्यों है? तथ्य यह है कि कॉर्पोरेट घरानों को बैंकों के लाइसेंस देने के विचार की चर्चा मात्र से ही इस तरह की प्रतिक्रिया या हंगामा पैदा हो जाता है, जो वास्तव में कॉर्पोरेट्स के लिए भी चिंतन का कारण है। नागेश्वरन ने कहा कि दुर्भाग्य से यह देश में कॉर्पोरेट प्रशासन की समग्र स्थिति का भी प्रतिबिंब है।
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