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धान की सरकारी खरीद सुस्त, किसान परेशान; क्या है पूरा मामला?

उत्तर भारत के कई राज्यों से सितंबर के अंतिम हफ्ते तक मानसून वापस चला जाता है। लेकिन इस बार मानसून दो हफ्ते की देरी से गया। जाते-जाते भी मानसून ने कई राज्यों में जमकर बारिश कराई। खेतों में धान की फसलें पककर तैयार थीं। इसके चलते पूरी तरह सूख नहीं पाई। अब नमी वाले धानों को बेचने में परेशानी हो रही है क्योंकि सरकारी नियम इसकी इजाजत नहीं देते हैं।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 12 Oct 2024 07:14 PM (IST)
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सरकार ने इस बार खरीफ मौसम में एमएसपी पर 485 लाख टन धान की खरीद करने का लक्ष्य रखा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की सरकारी खरीदारी जारी है, लेकिन नमी ज्यादा होने के चलते खरीद प्रक्रिया सुस्त है। एमएसपी पर धान खरीद के लिए अधिकतम 17 प्रतिशत नमी ही मान्य है। लेकिन, मानसून की लेट वापसी के चलते अभी धान में 25 से 27 प्रतिशत तक नमी है।

इससे किसान परेशान हैं। खेत खाली करके उन्हें अगली फसल की तैयारी करनी है। इसलिए धान बेचने की बेताबी है। किसान मंडियों में लंबी कतारें लगाकर इंतजार कर रहे हैं। सरकार से मांग की जा रही है कि नमी की अधिकतम मात्रा में छूट बढ़ाई जाए। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए धान की सामान्य किस्म की दर प्रति क्विंटल 2,300 रुपये एवं ग्रेड-ए की दर प्रति क्विंटल 2,320 रुपये तय की गई है।

कितना है धान खरीद का लक्ष्य

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सप्लाई चेन एवं अन्य जरूरतों पर विमर्श करने के बाद सरकार ने इस बार खरीफ मौसम में एमएसपी पर 485 लाख टन धान की खरीद करने का लक्ष्य रखा है। यह पिछली बार से 22 लाख टन ज्यादा है। पिछले वर्ष 463 लाख टन धान की खरीदारी हुई थी। सरकारी दर पर धान खरीद के लिए नमी की मात्रा अगर 17 प्रतिशत से अधिक रही तो नहीं खरीदा जाता है।

हालांकि, जरूरत पड़ने पर खरीद केंद्रों पर धान सुखाने की सुविधा दी जाती है। लेकिन, किसान चाहते हैं कि नमी की अधिकतम मात्रा में छूट मिले। एफसीआई का मानना है कि अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से खरीदारी में गति आ सकती है। इस बार धान में अत्यधिक नमी की वजह मानसून की देर से वापसी है।

मानसून ने जाते-जाते की गड़बड़ी

सामान्य तौर पर दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों से सितंबर के अंतिम सप्ताह तक मानसून की वापसी हो जाती है, लेकिन इस बार दो सप्ताह के विलंब से हुई। जाते-जाते भी मानसून ने कई राज्यों में जमकर बारिश कराई। खेतों में धान की फसलें पककर तैयार थीं। इसके चलते पूरी तरह सूख नहीं पाई। गीली उपज को मशीन में काटने के चलते धान के दाने भी टूटने की शिकायतें आ रही हैं। मानकों के मुताबिक टूटे हुए दानों की अधिकतम मात्रा छह प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

हरियाणा में सरकारी दर पर धान की खरीदारी 25 सितंबर से शुरू है, जबकि पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल एवं पश्चिमी यूपी के मंडलों में एक अक्टूबर से खरीदारी जारी है, लेकिन अधिकतर मंडियां सूनी पड़ी हैं। कुछ मंडियों में खरीद शुरू भी हुई है, तो प्रक्रिया बहुत धीमी है। खरीद एजेंसियों व मिलरों का दावा है कि गोदामों में पहले का स्टाक ही अभी बचा हुआ है। नई फसलों के भंडारण के लिए गोदामों को खाली कराना जरूरी है। अन्य राज्यों में अलग-अलग तिथियों में खरीदारी की प्रक्रिया शुरू होनी है।

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