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Farmers Budget 2024: कृषि क्षेत्र को खाद-पानी; पुरानी योजनाएं बरकरार, नई सौगातों की भी घोषणा

बजट में कृषि पर आधारित सारांश किसानों को खेती के वर्तमान तरीके से निकालकर प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने का प्रयास है। परंपरागत खाद्यान्न फसलें धान और गेहूं के अतिरिक्त कृषि के सभी क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाकर अर्थव्यवस्था को गति देना समय की मांग है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए एक लाख 52 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 23 Jul 2024 06:27 PM (IST)
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अगले दो वर्षों के दौरान एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। आम बजट में अन्नदाता को सबसे ऊपर रखा गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सभी पुरानी योजनाओं को बरकरार रखते हुए खेती कारोबार में व्यापक परिवर्तन के साथ किसानों के लिए कुछ नई सौगातों की भी घोषणा की गई है। खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ किसान कल्याण का ध्यान रखते हुए सर्वाधिक फोकस खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और जलवायु के अनुरूप खेती के विकास पर किया गया है।

कृषि क्षेत्र में अनुसंधान व्यवस्था की वृहद समीक्षा के साथ नए निवेश की बात कही गई है। इसके लिए सरकारी क्षेत्र के साथ निजी निवेशकों को भी आमंत्रित किया जाएगा। आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अन्नदाता को प्रधानमंत्री की चार प्रमुख जातियों में से एक बताया गया और कहा कि देश के आर्थिक विकास के लिए इनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सरकार ने लगभग सभी प्रमुख फसलों के लिए एक महीने पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की है, जो खेती की लागत से 50 प्रतिशत अधिक है।

बजट में कृषि पर आधारित सारांश किसानों को खेती के वर्तमान तरीके से निकालकर प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने का प्रयास है। परंपरागत खाद्यान्न फसलें धान और गेहूं के अतिरिक्त कृषि के सभी क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाकर अर्थव्यवस्था को गति देना समय की मांग है। इसलिए नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए एक लाख 52 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो फरवरी में अंतरिम बजट के आवंटन से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये ज्यादा है। किसानों की आय एवं फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयासों के तहत बागवानी समेत 32 फसलों की 109 सर्वाधिक पैदावार वाली किस्में जारी की जाएंगी, जो नई के साथ-साथ जलवायु के अनुकूल भी होंगी। अगले दो वर्षों के दौरान एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

इसके लिए सहायता राशि एवं प्रमाण पत्र देने के साथ-साथ उनके उत्पादों की ब्रां¨डग भी की जाएगी। इसका प्रबंधन कृषि वैज्ञानिक संस्थाओं एवं पंचायतों की देखरेख में किया जाएगा। देश भर में दस हजार बायो इनपुट सेंटर बनाए जाएंगे, जहां से प्राकृतिक खेती की गतिविधियां संचालित होंगी।बजट में दलहन एवं तेलहन की पैदावार बढ़ाकर किसानों के लिए अतिरिक्त आय के प्रबंधन के प्रयासों पर फोकस किया गया है।

एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने ईमानदारी से स्वीकार किया था कि तमाम प्रयासों के बावजूद किसानों की आय अपेक्षित रूप से नहीं बढ़ पाई है। इसलिए कृषि में व्यावसायिक फसलों के उत्पादन के लिए तकनीक एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ भंडारण एवं विपणन व्यवस्था को भी मजबूत बनाया जाएगा। सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन एवं सूरजमुखी जैसी फसलों की उपज बढ़ाने के लिए भी एक कार्यनीति बनाई जा रही है। अंतरिम बजट में आत्मनिर्भर तिलहन अभियान'' शुरू करने की बात कही गई थी, जिसे आगे बढ़ाया जाएगा।

चार सौ जिलों में फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण कृषि में सूचना विषमता को दूर करने एवं किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विकास का वादा किया गया है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों के सहयोग से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा। इसके तहत तीन वर्षों में किसानों और उनकी जमीन का विवरण जुटाना है। डीपीआई के जरिए इस वर्ष खरीफ फसलों का चार सौ जिलों में डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके तहत लगभग छह करोड़ किसानों और उनकी जमीन के विवरण को एकत्र किया जाएगा।