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तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई नियम होंगे और सख्त, DPIIT ने मंत्रालयों के विचार जानने के लिए तैयार किया मसौदा

DPIIT ने इस मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों के विचार जानने के लिए एक मसौदा नोट जारी किया है। अधिकारी ने कहा कि प्रचार गतिविधियों में प्रॉक्सी विज्ञापन विभिन्न तरीकों से ब्रांड प्रचार और ब्रांड के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है। अधिकारी ने कहा तंबाकू में एफडीआई प्रतिबंधित है और क्षेत्र की प्रचार-प्रसार गतिविधियों को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Sun, 28 Jul 2024 09:00 PM (IST)
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मंत्रालय ने 2016 में तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पेश किया था।

पीटीआई, नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तंबाकू क्षेत्र में प्रचार-प्रसार की गतिविधियों पर रोक और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को और सख्त करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कंपनियां इस बारे में नियमों को 'दरकिनार' करने की कोशिश कर रही हैं, जिसके मद्देनजर सरकार एफडीआई नियमों को सख्त करना चाहती है। फिलहाल तंबाकू के सिगार, चुरट, सिगारिलो और सिगरेट की मैन्यूफैक्चरिंग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर रोक है। हालांकि, तंबाकू क्षेत्र में किसी तरह के प्रौद्योगिकी सहयोग में एफडीआई की अनुमति है।

इसमें फ्रेंचाइजी के लिए लाइसेंस, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम और प्रबंधन अनुबंध शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, तंबाकू में एफडीआई प्रतिबंधित है, और क्षेत्र की प्रचार-प्रसार गतिविधियों को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है। ऐसे उत्पादों का प्रचार करके कुछ कंपनियां एक ऐसा तंत्र बनाने की कोशिश करती हैं जहां तस्करी बढ़ती है। उद्योग संव‌र्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों के विचार जानने के लिए एक मसौदा नोट जारी किया है। अधिकारी ने कहा कि प्रचार गतिविधियों में प्रॉक्सी विज्ञापन, विभिन्न तरीकों से ब्रांड प्रचार और ब्रांड के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है।

मंत्रालय ने 2016 में तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पेश किया था। प्रस्ताव के तहत मंत्रालय ने क्षेत्र में फ्रेंचाइजी, ट्रेडमार्क, ब्रांड नाम और प्रबंधन अनुबंधों के लाइसेंस में एफडीआई पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, तंबाकू किसान संघों और कंपनियों सहित कुछ हलकों की चिंताओं के कारण सरकार इस मामले पर कोई निर्णय नहीं ले सकी थी। घरेलू तंबाकू उद्योग पर मुख्य रूप से आईटीसी लिमिटेड का प्रभुत्व है।