मनरेगा और सब्सिडी पर ऊंचे खर्च से राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका
घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि होने के बावजूद रोजगार गारंटी योजना और सब्सिडी पर व्यय बढ़ने से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से थोड़ा अधिक छह प्रतिशत रह सकता है। यहां जानें जरूरी डिटेल्स..
पीटीआई, नई दिल्ली। घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि होने के बावजूद रोजगार गारंटी योजना और सब्सिडी पर व्यय बढ़ने से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से थोड़ा अधिक छह प्रतिशत रह सकता है।
बजट में राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। इंडिया रेटिंग्स ने कहा, 'पहली पूरक अनुदान मांग और संभवत: दूसरी पूरक अनुदान मांग के भी जरिये बजटीय राजस्व से अधिक व्यय करने और मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी के बजट अनुमान से कम रहने से राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा।'
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बढ़ेगा राजकोषीय घाटा
इसके मुताबिक, कर और गैर कर राजस्व संग्रह अधिक होने के बावजूद राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। इसके अलावा विनिवेश से होने वाली आय बजट अनुमान से कम रहने का भी इस पर असर पड़ेगा। पहली पूरक अनुदान मांग में केंद्र सरकार खाद्य, उर्वरक और एलपीजी सब्सिडी के अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों पर अधिक खर्च करेगी।इस वजह से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से आगे निकल सकता है। चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में मनरेगा के तहत 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन 19 दिसंबर तक 79,770 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं। इसके लिए पहली पूरक अनुदान मांग में 14,520 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रविधान किया गया है।यह भी पढ़ें- Gold-Silver Price: 2024 से पहले सोने-चांदी की कीमतों में आई तेजी, अब इतने रुपये में खरीद सकते हैं गोल्ड