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महंगे डीजल से आजिज रेलवे बढ़ाएगा विद्युतीकरण

महंगे डीजल से ईधन खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी से चिंतित रेलवे ने अब विद्युतीकरण की रफ्तार तेज करने का फैसला किया है। महंगे डीजल के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान रेलवे के ईधन खर्च में साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का इजाफा होने का अनुमान है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (बिजली), कुलभूषण के मुताि

By Edited By: Updated: Sun, 27 Jul 2014 07:55 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। महंगे डीजल से ईधन खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी से चिंतित रेलवे ने अब विद्युतीकरण की रफ्तार तेज करने का फैसला किया है। महंगे डीजल के कारण चालू वित्त वर्ष के दौरान रेलवे के ईधन खर्च में साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का इजाफा होने का अनुमान है।

रेलवे बोर्ड के सदस्य (बिजली), कुलभूषण के मुताबिक पिछले साल ईधन पर कुल खर्च 28,500 करोड़ रुपये था। इसमें बिजली पर 9,600 करोड़ रुपये, जबकि डीजल पर 18,900 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है। डीजल पर खर्च बढ़ने का प्रमुख कारण इसकी कीमत में हर माह होने वाली पचास पैसे की बढ़ोतरी है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष में रेलवे का ईधन खर्च 35 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक रहने की आशंका है। यही वजह है हमने विद्युतीकरण की रफ्तार बढ़ाने का निर्णय किया है।

अभी साढ़े 65 हजार रूट किलोमीटर (किमी) रेलवे लाइनों में केवल लगभग 21 हजार रूट किमी लाइनें (लगभग 32 फीसद) ही विद्युतीकृत हैं। फिलहाल हर साल पांच-छह सौ किलोमीटर लाइनों का विद्युतीकरण होता है। परंतु अब इसे बढ़ाकर कम से कम एक हजार किलोमीटर किया जाएगा। इससे सभी प्रमुख रूटों पर डीजल के बजाय बिजली वाली गाड़ियां चलाना संभव हो सकेगा। इस लक्ष्य को पाने के लिए रेलवे ने अपने खुद के परंपरागत तथा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों का काम भी तेज कर दिया है।

फिलहाल रेलवे की बिजली की सालाना खपत लगभग 1,750 मेगावाट है। अगले दस सालों में इसमें 1,000 मेगावाट की बढ़ोतरी का अनुमान है। अभी बिजली की खरीद एनटीपीसी तथा बिजली बोर्डो से की जाती है जो महंगी पड़ती है। कैप्टिव उत्पादन से इसकी लागत कम होगी। इसके लिए रेलवे ने एनटीपीसी से हाथ मिलाया है। जिसके साथ बिहार के नबीनगर में एक हजार मेगावाट के कैप्टिव प्लांट का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी 250 मेगावाट की पहली यूनिट के मई 2015 में चालू हो जाने की संभावना है। चारों यूनिटें चालू होने पर हर साल 500 करोड़ रुपये की बचत होगी। एनटीपीसी के साथ ही 1320 मेगावाट का कैप्टिव पावर प्लांट पश्चिम बंगाल के आद्रा में भी लग रहा है।

इसके अतिरिक्त छोटे स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के प्रयास भी किए जा रहे हैं। कुलभूषण के अनुसार अब तक 10.5 मेगावाट की पवन ऊर्जा चक्कियां लगाई जा चुकी हैं। जबकि 168 मेगावाट के पवन ऊर्जा प्लांट लगाने की तैयारी है, जिसमें से 157.5 मेगावाट के प्लांट संयुक्त उद्यमों के तहत लगाए जाएंगे। रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी (आरईएमसी) ने राजस्थान में 25 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने की योजना बनाई है।

यही नहीं, जगह-जगह सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगाए जा रहे हैं। अब तक 500 स्टेशनों व 4000 क्रॉसिंगों पर सात मेगावाट के सौर ऊर्जा प्लांट लगाए जा चुके हैं। जबकि 200 स्टेशनों, 26 प्रशासनिक भवनों तथा 2000 रेलवे क्रॉसिंगों पर सात मेगावाट के अन्य सौर ऊर्जा प्लांट लगाने की योजना है।

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