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Ficci Survey: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आगे भी जारी रहेगी तेजी, सर्वे में सामने आई ये बात

सर्वे में 4.88 लाख करोड़ रुपये से अधिक के संयुक्त वार्षिक कारोबार वाले बड़े और एसएमई दोनों खंडों की 380 से अधिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से प्रतिक्रिया ली गई। भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मौजूदा औसत क्षमता उपयोग लगभग 74 प्रतिशत है जो पिछली तिमाहियों के दौरान दर्ज 73 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। इस मामले में पिछले सर्वे की तुलना में भी थोड़ा सुधार हुआ है।

By AgencyEdited By: Anand PandeyUpdated: Mon, 13 Nov 2023 06:30 PM (IST)
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सर्वे के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग में शेष बची तिमाहियों में भी तेजी बने रहने की संभावना है।
एएनआई, नई दिल्ली। उद्योग संगठन फिक्की के एक नवीनतम तिमाही सर्वे से पता चला है कि विकसित देशों में मंदी के बावजूद 2023-24 की दूसरी तिमाही में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग में तेजी रही। सर्वे के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग में शेष बची तिमाहियों में भी तेजी बने रहने की संभावना है।

सर्वे में जुलाई-सितंबर 2023-24 तिमाही के लिए दस प्रमुख क्षेत्रों-मोटर वाहन और आटो घटक, पूंजीगत सामान और निर्माण उपकरण, सीमेंट, रसायन, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रानिक्स और व्हाइट गुड्स, मशीन टूल्स, धातु और धातु उत्पादों, वस्त्र, परिधान और तकनीकी वस्त्र, कागज और विविध के लिए निर्माताओं के प्रदर्शन और भावनाओं का आकलन किया गया है।

निवेश दृष्टिकोण में काफी सुधार

सर्वे में 4.88 लाख करोड़ रुपये से अधिक के संयुक्त वार्षिक कारोबार वाले बड़े और एसएमई दोनों खंडों की 380 से अधिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से प्रतिक्रिया ली गई। भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मौजूदा औसत क्षमता उपयोग लगभग 74 प्रतिशत है, जो पिछली तिमाहियों के दौरान दर्ज 73 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।

पिछली तिमाही की तुलना में भविष्य के निवेश दृष्टिकोण में भी सुधार हुआ है क्योंकि 57 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने आने वाले छह महीनों में निवेश और विस्तार की योजना की बात कही है।

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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी हुआ सुधार

इस मामले में पिछले सर्वे की तुलना में भी थोड़ा सुधार हुआ है। प्रमुख बाधाओं की बात करें तो भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिए मांग एक सीमित कारक है, जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने इसे एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में रेखांकित किया है।

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उन्होंने कहा, चाहे वह घरेलू मांग हो या निर्यात, यह एक प्रमुख सीमित कारक बना हुआ है। कच्चे माल की उच्च कीमतें, वित्त की बढ़ती लागत, रसद और अन्य सप्लाई चेन ऐसी प्रमुख बाधाएं हैं, जो विस्तार योजनाओं को प्रभावित कर रही हैं।

निर्यात मांग में और सुधार की उम्मीद

निर्यात के मोर्चे पर प्रदर्शन पिछली तिमाहियों की तुलना में बेहतर प्रतीत होता है, क्योंकि 48 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने जुलाई-सितंबर 2023-24 में उच्च निर्यात की सूचना दी, जबकि 2023-24 की पहली तिमाही में यह 33 प्रतिशत था। फिक्की ने कहा, हालांकि देश की वृद्धि की आकांक्षा को देखते हुए निर्यात मांग में और सुधार की उम्मीद है।