FICCI Survey: पहली तिमाही में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की स्थिति बेहतर, इस सेक्टर ने हासिल की बढ़त
FICCI Survey 2023 देश के विनिर्माण सेक्टर में वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। सोमवार को एफआईसीसीआई के सर्वे के वित्त वर्ष 2024 के पहले तिमाही में विनिर्माण सेक्टर में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इस तिमाही महंगाई दर के नतीजे उम्मीद से काफी अच्छे रहे हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)
By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Mon, 17 Jul 2023 06:08 PM (IST)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आज देश के विनिर्माण सेक्टर के पहले तिमाही के नतीजों का ऐलान किया गया है। वैश्विक परिस्थितियों में उतार-चढ़ाव जारी है। एफआईसीसीआई के सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 के पहले तिमाही में विनिर्माण सेक्टर में सकारात्मक नतीजे दर्ज हुए हैं। वित्त वर्ष 22 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति जारी है।
इन सेक्टर का किया गया है आंकलन
एफआईसीसीआई ने अपने सर्वेक्षण में ऑटोमोटिव और ऑटो घटकों, पूंजीगत सामान और निर्माण उपकरण, सीमेंट, रसायन उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और सामान, मशीन टूल्स, कपड़ा, परिधान और तकनीकी कपड़ा, खिलौने और हस्तशिल्प जैसे सेक्टर का आकलन किया है।
इसके लिए 7.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक के संयुक्त वार्षिक कारोबार के साथ बड़े और एसएमई दोनों सेक्टर से 400 से अधिक विनिर्माण इकाइयों से प्रतिक्रिया ली गई हैं।
पिछले तिमाही के नतीजे
FY 23 के मार्च तिमाही में, 55 फीसदी प्रोडक्शन बढ़ा है। इस तिमाही 57 प्रतिशत तक की औसत वृद्धि की उम्मीद लगाई जा रही है। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह आकलन ऑर्डर बुक पर भी आधारित है। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 58 प्रतिशत उत्तरदाताओं के पास ऑर्डर की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में दूसरी तिमाही में घरेलू मांग की स्थिति भी आशावादी बनी हुई है।
विनिर्माण क्षेत्र में मौजूदा औसत क्षमता लगभग 75 फीसदी है। ये इन सेक्टर में निरंतर बढ़ रहे आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है। पिछली तिमाही की तुलना में इस तिमाही निवेश काफी बढ़ा है। 56 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं के अनुसार आने वाले छह महीनों में निवेश के बढ़ने की संभावना बनी हुई है। पिछले सर्वेक्षण में 47 फीसदी ही निवेश बताया गया था। कई उत्तरदाता के अनुसार वो अगले तीन महीनों में अतिरिक्त कार्यबल को नियुक्त करना चाहते हैं।
आपको बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य विकसित देशों में मंदी के माहौल और रूस-यूक्रेन युद्ध के की वजह से वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण आपूर्ति श्रृंखला और मांग में अस्थिरता बढ़ रही है।