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पीयूष गोयल के बाद वित्त मंत्री ने भी सस्ती ब्याज दर की वकालत की, अब क्या करेगा आरबीआई?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि मुख्य रूप से आलू प्याज और टमाटर जैसे तीन जल्दी नष्ट होने वाले आइटम की वजह से खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी दिख रही है। उन्होंने कहा कि देश को विकसित करने के लिए ब्याज दर सस्ता करनी चाहिए। कुछ दिन पहले वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि ब्याज दरों को खुदरा महंगाई से जोड़कर देखने को थ्योरी गलत है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 19 Nov 2024 05:48 PM (IST)
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वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक का मुख्य काम जमा लेना और उधार देना है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआई भले ही महंगाई का हवाला देकर ब्याज दरों में कटौती नहीं कर रहा है, लेकिन देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मानती है कि विकसित भारत के निर्माण के लिए सस्ती ब्याज दरों की जरूरत है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमें कई मोर्चे पर यह सुनने को मिलता है कि ब्याज की दरें अधिक हैं। औद्योगिक विकास और उत्पादन क्षमता में विस्तार के लिए ब्याज दरों को सस्ता करना होगा और इसे लेकर बातचीत करने की आवश्यकता है।

कुछ दिन पहले वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी ब्याज दरों में कटौती की वकालत की थी। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर के छह प्रतिशत के पार पहुंच जाने के बाद दिसंबर में आरबीआइ की तरफ से बैंक रेट में कटौती की संभावना खत्म हो गई है।

सोमवार को मुंबई में आयोजित एसबीआई के कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि मुख्य रूप से आलू, प्याज और टमाटर जैसे तीन जल्दी नष्ट होने वाले आइटम की वजह से खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी दिख रही है। एक अवधि में इन आइटम की सप्लाई प्रभावित होने से महंगाई बढ़ जाती है। इन तीन के अलावा खाद्य तेल की खुदरा कीमतों से भी महंगाई पर असर दिख रहा है। बाकी अन्य प्रमुख वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में है।

एमएसएमई को अगले वित्त वर्ष में 6.12 लाख करोड़ का लोन

वित्त मंत्री ने सभी सरकारी बैंकों से एमएसएमई को कर्ज देने में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतने के साथ उन्हें अधिक लोन देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि एमएसएमई की अनदेखी करके विकसित भारत का निर्माण नहीं हो सकता है। एमएसएमई उद्यमिता के साथ रोजगार का सृजन करते हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में एमएसएमई को पहले से तय 4.21 लाख करोड़ के लोन के अलावा 1.54 लाख करोड़ का अतिरिक्त लोन दिया जाएगा।

आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में एमएसएमई को 6.12 लाख करोड़ तो वित्त वर्ष 2026-27 में एमएसएमई को सात लाख करोड़ के लोन देने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि बैंकों को टियर-5 व टियर-6 जैसे शहरों में भी लोन देने की रफ्तार को बढ़ाना होगा। बैंक छोटे-छोटे शहरों के लघु उद्यमियों को बड़े शहरों के उद्यमियों की तुलना में काफी कम लोन देते हैं।

वित्त मंत्री ने एमएसएमई को मशीनरी और अन्य कार्यशील पूंजी का लोन भी बिना गिरवी के देने की सिफारिश की। हालांकि इस काम के लिए सभी सरकारी बैंक अलग से क्रेडिट माडल तैयार कर रहे हैं जिसकी घोषणा इस साल बजट में की गई थी।

ग्राहकों को अनावश्यक इंश्योरेंस नहीं बेचने का निर्देश

वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक का मुख्य काम जमा लेना और उधार देना है। कर्ज के प्रवाह को जारी रखने के लिए जमा बढ़ाने की जरूरत है और बैंक को अपने मुख्य काम पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी देखा जा रहा है कि बैंक लोन देने के दौरान ग्राहकों को इंश्योरेंस उत्पाद खरीदने पर जोर देते हैं जिसे ग्राहक अप्रत्यक्ष तौर पर ब्याज की लागत के रूप में देखता है। ग्राहकों के बीच गलत धारणा बनती है। हालांकि इससे इंश्योरेंस का दायरा बढ़ता है, लेकिन बैंकों को अनावश्यक रूप से ग्राहकों को इंश्योरेंस उत्पाद नहीं बेचना चाहिए।

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