F&O ट्रेडिंग में बढ़ रहा रिटेल इन्वेस्टर का झुकाव; वित्त मंत्री, सेबी और एक्सपर्ट की बढ़ी चिंता
एक्सपर्ट का कहना है कि सट्टेबाजी स्वभाव वाले निवेश वायदा एवं विकल्प (FO) कारोबार के प्रति आकर्षित हो रहा हैं। सबसे चिंता की बात कि उन्हें इस सेगमेंट की जानकारी नहीं होती लेकिन जल्दी पैसा बनाने के लिए लालच में वे ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं और अपनी जमापूंजी गवां बैठते हैं। एक्सपर्ट की सलाह है कि खुदरा निवेशकों को पूरी जानकारी होने के बाद FO ट्रेडिंग करनी चाहिए।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ साल में शेयर बाजार ने काफी शानदार रिटर्न दिया है। इससे बहुत से नए और युवा निवेशकों का झुकाव भी इक्विटी मार्केट की तरफ हुआ है। लेकिन, बहुत से रिटेल इन्वेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट जैसे भरोसेमंद तरीके के बजाय फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग जैसी जटिल और सट्टेबाजी समझी जाने वाली विधा में हाथ आजमा रहे हैं। इसमें उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
क्या कह रहे एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट का कहना है कि सट्टेबाजी स्वभाव वाले निवेश वायदा एवं विकल्प (F&O) कारोबार के प्रति आकर्षित हो रहा हैं। सबसे चिंता की बात कि उन्हें इस सेगमेंट की जानकारी नहीं होती, लेकिन जल्दी पैसा बनाने के लिए लालच में वे ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं और अपनी जमापूंजी गवां बैठते हैं। एक्सपर्ट की सलाह है कि खुदरा निवेशकों को पूरी जानकारी होने के बाद F&O ट्रेडिंग करनी चाहिए।
वित्त मंत्री, सेबी भी चिंतित
पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने एफएंडओ ट्रेडिंग में रिटेल इन्वेस्टर की बढ़ती भागीदारी पर चिंता जाहिर की। पिछले साल नवंबर में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने भी छोटे निवेशकों को आगाह किया था कि उन्हें एफएंडओ में ट्रेडिंग करने से बचना चाहिए।
F&O से चिंता क्यों
दरअसल, एफएंडओ ट्रेंडिंग की काफी जटिल विधा है। इससे रिटेल निवेशकों को सावधान करने का मकसद उन्हें किसी तरह के सट्टा कारोबार से दूर रखना है। हालांकि, भारी लाभ की संभावना के चलते खुदर निवेशक इसकी ओर खिचें चले जाते हैं।कितना लोकप्रिय है F&O
F&O सेगमेंट की लोकप्रियता इसके बढ़ते कारोबार से स्पष्ट है। F&O सेगमेंट में मासिक कारोबार मार्च, 2024 में 8,740 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि मार्च 2019 में यह 217 लाख करोड़ रुपये था। वहीं, इक्विटी कैश सेगमेंट में औसत दैनिक कारोबार एक लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि एफएंडओ सेगमेंट में औसत दैनिक कारोबार लगभग 330 लाख करोड़ रहा है।
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