मुद्रा योजना से बड़ी संख्या में हुआ रोजगार का सृजन, वित्त मंत्री ने कहा- युवा उद्यमियों को मिली मदद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्रा योजना की आठवीं वर्षगांठ पर कहा कि इस योजना से जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार अवसर के सृजन में मदद मिली है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है। फाइल फोटो।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 08 Apr 2023 08:31 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्रा योजना की आठवीं वर्षगांठ पर कहा कि इस योजना से जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार अवसर के सृजन में मदद मिली है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है। आठ अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुद्रा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना की शुरुआत आय सृजित करने वाली गतिविधियों के लिए गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के गिरवी-मुक्त सूक्ष्म लोन आसानी से मुहैया कराने के उद्देश्य से की गई थी।
महिला उद्यमियों के हैं 68 फीसद लोन खाते
वित्त मंत्री के मुताबिक, मुद्रा योजना के तहत इसकी शुरुआत से लेकर इस साल 24 मार्च तक 40.82 करोड़ लोन खाते में 23.2 लाख करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। 68 फीसद लोन खाते महिला उद्यमियों के हैं और 51 फीसद लोन खाते एससी-एसटी और ओबीसी श्रेणियों के उद्यमियों के हैं। ये आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि देश के नवोदित उद्यमियों को आसानी से लोन की उपलब्धता से नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में सतत वृद्धि हुई है।
तीन स्तंभों पर आधारित है वित्तीय समावेश कार्यक्रम
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में वित्तीय समावेश कार्यक्रम का कार्यान्वयन तीन स्तंभों पर आधारित है। बैंकिंग सेवाओं से वंचितों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना, वित्तीय रूप से असुरक्षित को सुरक्षित करना और वित्तीय फंड से वंचितों को फंड मुहैया कराना। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना की मदद से वित्तीय समावेश के तीसरे स्तंभ के उद्देश्य की पूर्ति की जा रही है।
युवा उद्यमियों को मिली मदद
सीतारमण ने कहा कि इस योजना से बिना किसी परेशानी के सूक्ष्म उद्यमियों की पहुंच लोन तक बन पाई है और इससे बड़ी संख्या में युवा उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है। मुद्रा योजना को बढ़ावा देने की सरकारी नीति से लाखों एमएसएमई अब औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन गए हैं और उन्हें ऊंची ब्याज दरों पर लोन देने वाले साहूकारों के चंगुल से बाहर निकलने में मदद मिली है।
मुद्रा लोन को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये हैं शिशु (50,000 रुपये तक के ऋण), किशोर (50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक) और तरुण (5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण)। मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत लोन में 83 फीसद हिस्सेदारी शिशु लोन की है। 15 फीसद हिस्सेदारी किशोर की तो सिर्फ दो फीसद हिस्सेदारी तरुण की है।