स्वर्ण भंडार की गुणवत्ता को लेकर सतर्क रहें बैंक, गोल्ड लोन स्कीम की गड़बड़ियों को लेकर वित्त मंत्रालय और RBI संपर्क में
वित्त मंत्रालय ने पुराने सोने के बदले लोन देने की स्कीम में गड़बड़ियों को सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में कुछ बैंकों के स्वर्ण भंडार की गुणवत्ता को लेकर सूचनाएं आई हैं। वित्त मंत्रालय ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों को कहा है कि गोल्ड लोन स्कीम पर नजर रखें और यह सुनिश्चित करें कि जिस सोने के बदले वह कर्ज दे रहे हैं उसकी गुणवत्ता कैसी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जब से बैंकिंग सेक्टर में पुराने सोने (स्वर्ण आभूषण आदि) के बदले लोन देने की सेवा शुरू हुई है उसके बाद से इसको लेकर कई तरह की गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं। हाल ही में कुछ बैंकों के स्वर्ण भंडार की गुणवत्ता को लेकर सूचनाएं आई हैं जिससे वित्त मंत्रालय सतर्क हो गया है। वित्त मंत्रालय ने इस सिलसिले में सरकारी क्षेत्र के बैंकों को कहा है कि सोने के बदले लोन देने की स्कीम पर नजर रखें और खास तौर पर यह सुनिश्चित करें कि जिस सोने के बदले वह कर्ज मुहैया करा रहे हैं उनकी गुणवत्ता कैसी है।
इस बारे में सरकारी बैंकों को लिखे गये पत्र में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें अपनी कर्ज (सोने के बदले) स्कीम की समय समय पर पूरी तरह से समीक्षा भी करनी चाहिए ताकि इससे जुड़ी किसी तरह की खामी सामने आए तो उसे समय पर दूर किया जा सके। आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच इस बारे में विमर्श भी चल रहा है कि गोल्ड लोन स्कीमों को सुधारने के लिए और क्या कदम उठाए जाएं।वित्त मंत्रालय की तरफ से यह पत्र तब भेजा गया है कि जब सरकारी क्षेत्र के दो बैंकों के स्वर्ण भंडार की गुणवत्ता को लेकर सूचना सामने आई है। इन बैंकों का नाम तो सामने नहीं आया है लेकिन यह बताया गया है कि इनकी तरफ से गिरवी रखे गये सोने की जो कीमत खाता-बही में दर्ज की गई है वह वास्तविक कीमत के मुकाबले काफी ज्यादा है।
बैंकों के आंतरिक आडिट में यह भी पता चला है कि 18 कैरेट के सोने को 22 कैरेट का सोना बता कर उसकी मूल्यांकन किया गया है। आरबीआई के नियम के मुताबिक बैंक सोने के भाव के 75 फीसद तक कीमत के बराबर लोन दे सकते हैं। लेकिन असलियत में बैंक इससे भी ज्यादा का कर्ज मुहैया करा देते हैं।
यह भी पढ़ें : रसोई गैस कीमत में और कमी संभव, पेट्रोल-डीजल के लिए फिलहाल नासरकार और आरबीआई इस सूचना की भी जांच कर रही है कि सोने के बदले लोन को लेकर बैंक शाखा स्तर पर लक्ष्य तय कर दिया जाता है और इस लक्ष्य को हासिल करने के चक्कर में नियमों को ताक पर रखने का काम हो रहा है।
सनद रहे कि पिछले दिनों ही आरबीआइ ने एक प्रमुख एनबीएफसी आईआईएफएल को नये गोल्ड लोन देने से मना कर दिया था। भारत में इस कारोबार की शुरुआत तकरीबन 15 वर्ष पहले गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की तरफ से की गई थी जिसमें बाद में निजी व सरकारी क्षेत्र के बड़े बड़े बैंक भी आ गये।आरबीआई भी सोने के बदले लोन देने की स्कीम की कड़ी निगरानी करता है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक स्वर्ण आभूषण के बदले लोन देने की राशि 1,00,000 करोड़ रुपये को पार कर गई है। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान इसमें दो गुनी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
इसमें तेज कारोबार की संभावना को देखते हुए ही बैकों के बीच काफी जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। प्रतिस्पर्धा का आलम यह है कि कुछ बैंक मिनटों में सोने के बदले ऋण देने की स्कीम लांच कर चुके हैं। बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि इसका असर भी गिरवी रखे गये सोने पर पड़ा है।