खरीफ की कम बोआई को देख बेहतर अनाज प्रबंधन को लेकर रहना होगा सतर्क, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में किया गया आगाह
वित्त मंत्रालय की तरफ से शनिवार को जारी अगस्त 2022 की मासिक रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि इस बार खरीफ की बोआई बहुत संतोषजनक नहीं है ऐसे में अनाज प्रबंधन को लेकर सतर्क रहना होगा....
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 17 Sep 2022 07:09 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कमजोर मानसून को लेकर सरकार की चिंता बढ़ती दिख रही है। वित्त मंत्रालय की तरफ से शनिवार को जारी अगस्त, 2022 की मासिक रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि इस बार खरीफ की बोआई बहुत संतोषजनक नहीं है ऐसे में अनाज प्रबंधन को लेकर सतर्क रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्यात पर भी असर ना हो और खाद्यान्नों की कीमतों पर भी बहुत असर नहीं हो।
वैश्विक हालात पर जताई गई चिंता
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक इकोनोमी के साथ ज्यादा जुड़ जाने की वजह से वहां होने वाली गतिविधियों से भारतीय इकोनोमी भी प्रभावित होती रहेगी। रिपोर्ट में वैसे तो इस साल भारतीय इकोनोमी की रफ्तार तेज बने रहने और आने वाले लंबे समय के लिए तेज विकास की जमीन तैयार होने की बात कही गई है लेकिन वैश्विक स्तर पर जो बदलाव हो रहे हैं उसको ज्यादा चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
ऊर्जा जरूरत को लेकर उठाये जाने वाले कदमों पर असर
रिपोर्ट के मुताबिक ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए जिस तरह से विकसित देशों की तरफ से आगामी सर्दियों के मद्देनजर ऊर्जा की खरीद की जा रही है वह वैश्विक तनाव को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। इसका भारत की तरफ से अपनी ऊर्जा जरूरत को लेकर उठाये जाने वाले कदमों पर भी असर होगा।
अर्थव्यवस्था के मूल तत्वों पर रखनी होगी नजर
मौजूदा समय को अनिश्चतता भरा बताते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा है कि यह संभव नहीं है कि लंबे समय तक असंतुष्ठ हो कर बैठा रहा जाए। अर्थव्यवस्था के मूल तत्वों पर लगातार नजर बना कर रखना होगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्याज दरों में हो रही वृद्धि के बारे में कहा गया है कि इससे निवेश के माहौल पर भी असर होगा।तेजी से बढ़ रहा आयात चिंता का सबब
तेज विकास की संभावनाओं को देखते हुए भारत में आयात तेजी से बढ़ रहा है और इनके लिए वित्त उपलब्ध कराना प्राथमिकता होगी। वित्त मंत्रालय ने यह बात बढ़ते चालू खाते में घाटे (आयात पर खर्च और निर्यात से प्राप्त विदेशी मुद्रा का अंतर) के संदर्भ में कही है। आरबीआइ ने भी एक दिन पहले अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2022-23 के दौरान चालू खाते में घाटा (जीडीपी के मुकाबले) तीन फीसद तक रहेगा जिसके लिए वित्त उपलब्ध कराना कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी।