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अगले साल तक पूरी तरह प्राइवेट हो जाएगा यह 'सरकारी' बैंक, हो चुकी हैं सभी तैयारियां, ये है प्लान

IDBI Bank में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से सरकारी खजाने को करीब 30000 करोड़ रुपये मिलेंगे। बिक्री की प्रक्रिया अगले साल सितंबर तक समाप्त होने की संभावना है। सोमवार को बीएसई पर आईडीबीआई के शेयर पिछले सत्र की तुलना में 9.02 प्रतिशत बढ़कर 46.55 रुपये पर बंद हुए।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 08:17 PM (IST)
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Financial bids for IDBI Bank likely to be invited by March

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। IDBI Bank के निजीकरण के लिए वित्तीय बोलियां मार्च तक आमंत्रित किए जाने की संभावना है। बिक्री प्रक्रिया अगले वित्तीय वर्ष में पूरी होने की उम्मीद है। पिछले हफ्ते सरकार और जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की थीं। बोली लगाने की अंतिम तिथि 16 दिसंबर है।

बोली लगाने वालों की तरफ से Expression of Interest आने और इच्छुक पार्टियां को आरबीआई द्वारा 'फिट एंड प्रॉपर' असेसमेंट को मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद बोली लगाने वालों को गृह मंत्रालय (एमएचए) से सुरक्षा मंजूरी प्राप्त लेनी होगी। इसके बाद योग्य बोलीदाताओं को डाटा रूम एक्सेस दिया जाएगा।

क्या है आईडीबीआई के निजीकरण का प्लान

अधिकारियों ने कहा कि 'आमतौर पर सारी प्रक्रिया पूरी होने और वित्तीय बोलियां आने में लगभग छह महीने लगते हैं। हम मार्च तक आईडीबीआई बैंक के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने की उम्मीद कर रहे हैं।'

यह देखते हुए कि किसी सरकारी हिस्सेदारी वाले बैंक में रणनीतिक बिक्री का यह पहला मामला होगा, सरकार ने पूरी तैयारी कर रखी है, ताकि अचानक उठने वाले मुद्दों का त्वरित समाधान निकला जा सके। अधिकारियों ने कहा कि आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री की प्रक्रिया अगले साल सितंबर तक समाप्त होने की संभावना है।

ये होंगी शर्तें

निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां, सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), भारत के बाहर निगमित फंड/निवेश वाले निकायों को बोलियां जमा करने की अनुमति होगी। एक साथ मिलकर बोलियां लगाने वाले बोलीदाताओं के लिए नेट वर्थ की सीमा 22,500 करोड़ रुपये रखी गई है। शर्त ये भी है कि उन्हें पिछले पांच वर्षों में से तीन में शुद्ध लाभ हुआ हो। इसके अलावा उन्हें 40 फीसदी इक्विटी को 5 साल के लिए लॉक इन करना होगा।

आईडीबीआई बैंक में फिलहाल एलआईसी की 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि सरकार की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष 5.2 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है। इस बिक्री के बाद आईडीबीआई बैंक में सरकार और एलआईसी की संयुक्त हिस्सेदारी 94.72 प्रतिशत से घटकर 34 प्रतिशत हो जाएगी। सरकार 30.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी और एलआईसी प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ-साथ 30.24 प्रतिशत की बिक्री करेगी। कुल मिलाकर 60.72 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेची जाएगी।

यदि बोली लगाने वाली कोई पार्टी आईडीबीआई बैंक को अपने साथ मर्ज करने का इरादा रखती तो सरकार और एलआईसी बोर्ड या शेयरधारक बैठकों में इस तरह के विलय के लिए मतदान किया जाएगा।

अगले साल पूरी होगी विलय की प्रक्रिया

आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की घोषणा सबसे पहले 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसके बाद आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मई 2021 में इसके विनिवेश और मैनेजमेंट कंट्रोल के ट्रांसफर के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। आईडीबीआई बैंक को 21 जनवरी, 2019 से आरबीआई द्वारा निजी क्षेत्र के बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप एलआईसी ने बैंक की कुल चुकता इक्विटी शेयर पूंजी का 51 प्रतिशत हासिल कर लिया था।

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